सौर मंडल,सूर्य, आठ ग्रह (बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, अरूण, व वरूण), और उनके प्राकृतिक उपग्रह तथा कुछ अन्य खगोलीय पिंड, जैसे क्षुद्र ग्रह एवं उल्कापिंड मिलकर सौरमंडल का निर्माण करते हैं । उसे हम सौरमंडल का नाम देते हैं, जिसका मुखिया सूर्य है । यह सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर परिभ्रमण करते हैं।
सन् 2006 तक सौरमंडल में नौ ग्रह थे । प्लूटो Solar system in hindi का सूर्य से दूरतम ग्रह था । सन् 2006 में अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ ने ग्रह की नयी परिभाषा को अपनाया जिसके अनुसार प्लूटो, ग्रहों की श्रेणी में नहीं आता । अब यह सौर परिवार का ग्रह नहीं है
Solar system drawing in hindi
सौरमंडल के सभी आठ ग्रह (बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, अरूण, व वरूण) एक निश्चित पथ पर सूर्य का चक्कर लगाते हैं । ये रास्ते दीर्घवृत्ताकार में फैले हुए हैं । ये कक्षा कहलाते हैं ।
बुध सूर्य के सबसे नजदीक है । अपनी कक्षा में सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाने में इसे केवल 88 दिन लगते हैं । शुक्र को पृथ्वी का जुड़वाँ ग्रह माना जाता है, क्योंकि इसका आकार एवं आकृति लगभग पृथ्वी के ही समान है ।
Solar system in hindi: सूर्य
सूर्य Solar system in hindi के केंद्र में स्थित है । इसका खिंचाव बल इससे सौरमंडल को बाँधे रखता है । सूर्य, सौरमंडल के लिए प्रकाश एवं ऊष्मा का एक मात्र स्रोत है । लेकिन हम इसकी अत्यधिक तेज़ ऊष्मा को महसूस नहीं करते हैं, क्योंकि सबसे नजदीक का तारा होने के बावजूद यह हमसे बहुत दूर है ।
सूर्य पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है । आकाशीय पिण्डों की दूरियॉ प्रकाश वर्ष में मापी जाती हैं । प्रकाश वर्ष, प्रकाश द्वारा एक वर्ष में तय की गई दूरी होतह है । पृथ्वी की सतह पर, सूर्य ऊर्जा का अधिकांश भाग सूर्य से प्राप्त होता है । सूर्य सभी तारों की भॉति एक गैसीय पिण्ड है, जिसमें हाइड्रोजन 9% एवं हीलियम 8.9% है ।
Solar system in hindi: ग्रह
हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह हैं । सूर्य से दूरी के अनुसार, वे हैंः बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस तथा नेप्च्यून । सूर्य के चारों ओर परिभ्रमण करने के साथ-साथ सभी ग्रह अपने अक्ष पर घूर्णन करते है । कुछ ग्रहों के उपग्रह हैं, जो उन ग्रहों के चारों ओर चक्कर लगाते हैं । जैसे-चन्द्रमा, पृथ्वी का उपग्रह आदि ।
1.बुध
यह सूर्य के सबसे अधिक समीप ग्रह है, जिसका कोई उपग्रह नहीं होता है । यह सूर्य की चमक में आसानी से दिखाई नहीं देता है । इसका परिक्रमण काल 88 दिन है । इसमें पृथ्वी तथा वायु दोनों तत्व मौजूद है । ठसका औसत व्यास 4880 किलोमीटर है । सूर्य से औसत दूरी 5 करोड़ 70 लाख किलोमीटर है । बुध ग्रह अन्य सभी ग्रहों से तेज गति से सूर्य की परिक्रमा करता है ।
2.शुक्र
यह पृथ्वी के सबसे समीप स्थ्ति ग्रह है तथा रात्रि में सबसे अधिक चमकीला दिखाई देता है । इसे प्रातः या रात्रि का तारा कहा जाता है, जबकि यह तारा नहीं है । यह पूर्व दिशा से पश्चिम दिशा में परिभ्रमण करता है। ठसका कोई उपग्रह नहीं है ।
3.पृथ्वी
सूर्य से दूरी के हिसाब से पृथ्वी तीसरा ग्रह है । आकार में, यह पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है । यह ध्रुवों के पास थोड़ी चपटी है । यही कारण है कि इसके आकार को भू-आभ कहा जाता है । भू-आभ का अर्थ है, पृथ्वी के समान आकार । जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ संभवतः केवल पृथ्वी पर ही पाई जाती हैं । इसका कारण यह है कि विशेष जलवायु तथा सूर्य से ऐसी उचित दूरी पर होन के कारण, तापक्रम का जीवन के अनुकूलन होना है । इसकी सतह पर पानी, वायुमण्डल तथा चारों ओर ओजोन मण्डल का आवरण होता है।
आकाश से देखने पर पृथ्वी नीले-हरे-रंग की दिखाई देती है । इस रंग का कारण पृथ्वी की सतह पर स्थित पानी तथा जमीन से परावर्तित प्रकाश है । चन्द्रमा पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है तथा अनेक कृत्रिम उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर परिभ्रमण करते हैं, जिनका उपयोग वैज्ञानिक अन्वेषणों, संचार व्यवस्था आदि में बहुतायत से किया जाता है । पृथ्वी न तो अधिक गर्म है और न ही अधिक ठंडी । यहाँ पानी एवं वायु उपस्थित है, जो हमारे जीवन के लिए आवश्यक है ।
वायु में जीवन के लिए आवश्यक गैसें, जैसे ऑक्सीजन मौजूद है । इन्हीं कारणों से, पृथ्वी सौरमंडल का सबसे अद्भुत ग्रह है । अंतरिक्ष से देखने पर पृथ्वी नीले रंग की दिखाई पड़ती है, क्योंकि इसकी दो-तिहाई सतह पानी से ढकी हुई है । इसलिए इसे, नीला ग्रह कहा जाता है ।प्रकाश की गति लगभग 3,00,000 किमी./प्रति सेकंड है । इस गति के बावजूद सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में लगभग 8 मिनट का समय लगता है ।
चंद्रमा
हमारी पृथ्वी के पास केवल एक उपग्रह है, चंद्रमा । इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का केवल एक-चौथाई है । यह इतना बड़ा इसलिए प्रतीत होता है, क्योंकि यह हमारे ग्रह से अन्य खगोलीय पिंडों की अपेक्षा नजदीक है ।यह हमसे लगभग 3,84,400 किलोमीटर दूर है । अब आप पृथ्वी सेसूर्य एवं चंद्रमा की दूरियों की तुलना कर सकते हैं ।चंद्रमा पृथ्वी का एक चक्कर लगभग 27 दिन में पूरा करता है ।लगभग इतने ही समय में यह अपने अक्ष पर एक चक्कर भी पूराकरता है । इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी से हमें चंद्रमा का केवल एक हीभाग दिखाई पड़ता है ।
चंद्रमा की परिस्थितियाँ जीवन के लिए अनुकूल नहीं हैं । यहाँ नपानी है और न वायु । इसकी सतह पर पर्वत, मैदान एवं गड्डे हैं जोचंद्रमा की सतह पर छाया बनाते हैं । पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पर इनकीछाया को देखा जा सकता है । नील आर्मस्ट्रांग पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 29 जुलाई 1969 को सबसे पहले चंद्रमा की सतह पर कदम रखा । मालूम करो कि क्या कोई भारतीय चंद्रमा पर गया है?
4.मंगल
मंगल ग्रह, हल्का लाल दिखाई देता है, अतः यह लाल ग्रह भी कहलाता है । इसके दो उपग्रह है । मंगल ग्रह की मिट्टी में लौह खनिज की जंग लगने के कारण यह लाल दिखता है । सौर ग्रह का सबसे बड़ा पर्वत मंगल पर ही है । इसको ओलिप-मोन्स नाम दिया गया है और यह 24 किलोमीटर ऊॅचा है । मंगल ग्रह का औसत तापमान-55 डिग्री सेल्सियस है तथा इसकी सतह का तापमान 27 डिग्री सेल्सियस से 133 डिग्री सेल्सियस तक बदलता है । इसके दो ग्रह फोबोस और डीमोस है । फोबोस का आकार, डीमोस से बड़ा है ।
फोबोस समस्त सौर मण्डल में अपने ग्रह से सबसे कम दूरी वाला उपग्रह है । इसकी मंगल की सतह से दूरी 6000 किलोमीटर है । फोबोस का औसत व्यास 22.2 किलोमीटर है और डीमोस का व्यास 12.6 किलोमीटर है । फोबोस उपग्रह मंगल ग्रह के आकाश में एक दिन में दो बार उदय होकर अस्त होता है ।
5.बृहस्पति
यह Solar system in hindi का सबसे बड़ा ग्रह है । इसका आकार पृथ्वी के आकार का 1300 गुना बड़ा है । बृहस्पति ग्रह का द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान का 318 गुना है । इसके अनेक उपग्रह हैं जिनमें से चार उपग्रहों की खोज आज तक की जा चुकी है, जिनको दूरदर्षी द्वारा देखा गया है । इसके चारों ओर धुधली वृत्तराकार रिंग बनी है ।
6.शनि
शनि ग्रह का रंग पीला है । इसके अनेक उपग्रह हैं तथा अनेक सुन्दर रिंग अथवा छल्ले इसके चारों ओर बने हुए हैं । शनि के छल्ले हिमकणों एवं चट्टानों में निर्मित हैं । यह सूर्य से छठा निकटतम परन्तु आकार में दूसरा बड़ा ग्रह है । इसका घनत्व पानी से भी कम है ।
7.अरूण
अरूण ग्रह की खोज वर्ष 1781 में विलियम हरषेल द्वारा की गई । इसका अक्षीय झुकाव अन्य ग्रहों से सर्वाधिक है । इस कारण इसे लेटा हुआ ग्रह भी कहते हैं । ध्रवीय प्रदेश में इसे सूर्य से सर्वाधिक ताप तथा प्रकाश की प्राप्ति होती है । अरूण ग्रह सूर्य की परिक्रमा 84 वर्षों में पूर्ण करता है । अरूण ग्रह भी शुक्र की भॉति सूर्य की परिक्रमा पूर्व से परिष्म की ओर करता है । इस कारण इन दोनों ग्रहों पर सूर्योदय पश्चिम दिशा में तथा सूर्यास्त पूर्व दिशा में होता है । अरूण के वायुमण्डल में शनि के वायुमण्डल के समान गैसें पाई जाती है । अरूण में भी चारों ओर वलय पाया जाता है ।
8.वरूण
वरूण ग्रह की खोज, जर्मन खगोल शास्त्री जोहान गाले ने की थी । यह 165 वर्षो में सूर्य की परिक्रमा पूर्ण करता है । वरूण के वायुमण्डल में हाइड्रोजन, हीलियम, मिथेन तथा अमोनिया गैसें विद्यमान है । वरूण के 13 उपग्रह हैं, जिनमें टाइटन व मेरीड प्रमुख है ।
Solar system in hindi: तारे
आकाश में स्थित सभी पिण्ड आकाशीय पिण्ड कहलाते हैं । इनमें वह आकाशीय पिण्ड, जो स्वयं प्रकाश उत्सर्जित करते हैं, तारे कहलाते हैं । सूर्य भी एक तारा है, जो पृथ्वी के समीप है । दिन के समय तारे, सूर्य के प्रकाश के कारण दिखाई नहीं देते है । तारे पूर्व दिशा से दक्षिण दिशा की ओर गति करते प्रतीत होते हैं अर्थात् उद्गम पूर्व दिशा में होता है ओर दक्षिण दिशा में प्रातः काल में अस्त होते प्रतीत होते हैं । ध्रुव तारा गतिमान होता प्रतीत नहीं होता है क्योंकि यह पृथ्वी के अक्ष पर स्थित होता हैं इसलिए, रात्रिकाल में इसका उपयोग दिशा ज्ञात करने में किया जाता है ।
तारा मण्डल– तारों का वह समूह जिसकी एक विशेष प्रकार की आकृति होती है, तारा-मण्डल कहलाता है । कुछ विशेष तारों के समूह निम्नलिखित हैं
वृहत्-सप्तर्षि-वृहत्-सप्तर्षि नामक तारा-मण्डल में बहुत से तारे हैं, जिनमें सात सर्वाधिक चमकदार तारे हैं, जो आसानी से दिखाई देते है । इन तारों से बना तारा-मण्डल सामान्यतया वृहत्-सप्तर्षि या बिग डियर कहलाता है । बिग डियर के सात प्रमुख तारे किसी बड़ी करछुल या प्रश्न चिन्ह जैसी आकृति बनाते प्रतीत होते है । करछुल के शीर्ष भाग पर स्थित दो तारे संकेतक तारे कहलाते हैं, क्योंकि इनको मिलाने वाली रेखा ध्रुव तारे की ओर संकेत करती है ।
मृगा या ओरिओन-मृगा या ओरिओन एक तारा-मण्डल है, जिसे शीत ऋतु में देखा जा सकता है । मृगा आकाश के सबसे भव्य तारा-मण्डलों में से एक है । इसमें सात चमकीले तारे हैं, जो चार चतुर्भुज की आकृति बनाते प्रतीत होते है । इस चतुर्भुत के एक कोने पर सबसे विशाल तारों में बीट-लगीज नाम का एक तारा स्थित है । ओरिओन के समीप स्थित तारा सीरियस सबसे अधिक चमकीला होता है ।
धूमकेतु (पुच्छल तारा)-धूमकेतु भी हमारे सौर परिवार के सदस्य हैं । ये अत्यन्त परवलीय कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करते हैं । परन्तु, इनका सूर्य के परितः परिक्रमण काल सामान्यतया अधिक होता है । सामान्यतया धूमकेतु चमकीले सिरे तथा लम्बी पूंछ वाले होते हैं । धूमकेतु की पूंछ सदैव सूर्य से दूर होती है । जैसे-जैसे धूमकेतु सूर्य के समीप आता जाता है, इसकी पूंछ आकार में बढ़ती जाती है ।
Solar system in hindi: क्षुद्र ग्रह
तारों, ग्रहों एवं उपग्रहों के अतिरिक्त, असंख्य छोटे पिंड भी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं । मंगल तथा बृहस्पति की कक्षाओं के बीच विशाल अन्तराल है । इस अन्तराल में अनेक छोटे-छोटे पिण्ड हैं, जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं । इन्हें ग्रहिकाएँ या क्षुद्र ग्रह कहते हैं । प्रत्येक ग्रहिका की अपनी विषिष्ट कक्षा है, जो एक विशाल क्षेत्र में स्थित है । यह मंगल व बृहस्पति ग्रहों की गुरूत्वाकर्षण की अनियमितता के कारण उत्पन्न होते हैं ।
इनकी कक्षीय ऊर्जा बहुत अधिक होती है, जिससे ये त्वरित होते रहते हैं । इनका आकार सैकड़ों किलोमीटर से लेकर सूक्ष्म रूप में भी हो सकता है । सबसे बड़ा क्षुद्र ग्रह सिरस है, इसका निर्माण भारी धातुओं से हुआ है । सेन्टेयूरस तथा क्युपर पट्टी में स्थित छुद्रकाए डिस्क के आकार की हैं । ये सभी पृथ्वी के समीप हैं । वैज्ञानिकों के अनुसार क्षुद्र ग्रह, ग्रह के ही भाग होते हैं, जो कि बहुत वर्ष पहले विस्पफोट के बाद ग्रहों से टूटकर अलग हो गए ।
Solar system in hindi: उल्कापिंड
सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले पत्थरों के छोटे-छोटे टुकड़ों को उल्कापिंड कहते हैं । कभी-कभी ये उल्कापिंड पृथ्वी के इतने नजदीक आ जाते हैं कि इनकी प्रवृत्ति पृथ्वी पर गिरने की होती है । इस प्रक्रिया के दौरान वायु के साथ घर्षण होने के कारण ये गर्म होकर जल जाते हैं । फलस्वरूप, चमकदार प्रकाश उत्पन्न होता है । कभी-कभी कोई उल्का पूरी तरह जले बिना पृथ्वी पर गिरती है जिससे धरातल पर गड्डे बन जाते हैं ।
किसी उल्का का गमन पथ, रात्रि में आकाश में, प्रकाश की रेखा जैसा दिखाई पड़ता है । इसलिए, उल्काओं को सामान्यतया टूटते तारे भी कहा जाता है । कुछ उल्का आकार में इतनी बड़ी होती हैं कि पूर्णतः वाष्पित होने से पूर्व ही वे पृथ्वी पर पहॅुच जाती हैं । वह पिण्ड, जो पृथ्वी पर पहुचता है, उसे उल्का पिण्ड कहते हैं ।
मानव निर्मित उपग्रह
एक अप्राकृतिक पिंड है । यह वैज्ञानिकों के द्वारा बनाया गया है, जिसका उपयोग ब्रह्मांड के बारे में जानकारी प्राप्त करने एवं पृथ्वी पर संचार माध्यम के लिए किया जाता है । इसे रॉकेट के द्वारा अंतरिक्ष में भेजा जाता है एवं पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया जाता है । अंतरिक्ष में उपस्थित कुछ भारतीय उपग्रह इनसेट, आई.आर.एस., एडूसैट इत्यादि
Solar system in hindi FAQ
सौर मंडल में कितने ग्रह हैं
हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह हैं । सूर्य से दूरी के अनुसार, वे हैंः बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस तथा नेप्च्यून ।
सौर मंडल क्या है
सूर्य, आठ ग्रह (बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, अरूण, व वरूण), और उनके प्राकृतिक उपग्रह तथा कुछ अन्य खगोलीय पिंड, जैसे क्षुद्र ग्रह एवं उल्कापिंड मिलकर सौरमंडल का निर्माण करते हैं । उसे हम सौरमंडल का नाम देते हैं, जिसका मुखिया सूर्य है । यह सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर परिभ्रमण करते हैं।
सौर मंडल में सबसे बड़ा ग्रह कौन सा है
बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है । इसका आकार पृथ्वी के आकार का 1300 गुना बड़ा है । बृहस्पति ग्रह का द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान का 318 गुना है ।
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