संधि किसे कहते हैं संधि के भेद उदाहरण सहित लिखिए

संधि का शाब्दिक अर्थ है योग अथवा मेल। अर्थात् दो ध्वनियों या दो वर्णों के मेल से होने वाले विकार को ही संधि कहते है।संधि के पहले वर्ण के आधार पर संधि के तीन भेद किये जाते हैं- स्वर संधि, व्यंजन संधि व विसर्ग संधि।

संधि किसे कहते हैं

जब दो वर्ण पास-पास आते हैं या मिलते हैं तो उनमें विकार उत्पन्न होता है अर्थात् वर्ण में परिवर्तन हो जाता है। यह विकार युक्त, मेल ही संधि कहलाता है।

कामताप्रसाद गुरू के अनुसार ‘जब दो या अधिक वर्ण पास-पास आते हैं तो कभी-कभी उनमें रूपांतर हो जाता है। इसी रूपांतर को संधि कहते है।’

संधि विच्छेद

वर्णों के मेल से उत्पन्न ध्वनि परिवर्तन को ही संधि कहते हैं। परिणामस्वरूप उच्चारण एवं लेखन दोनों ही स्तरों पर अपने मूल रूप से भिन्नता आ जाती है। अतः उन वर्णों को पुनः मूल रूप में लाना ही संधि विच्छेद कहलाता है, जैसे

परीक्षार्थी   परीक्षा + अर्थी

वागीश      वाक् + ईश

संधि के भेद

संधि के पहले वर्ण के आधार पर संधि के तीन भेद किये जाते हैं- स्वर संधि, व्यंजन संधि व विसर्ग संधि। संधि का पहला वर्ण यदि स्वर हो तो ‘स्वर संधि’ (जैसे- नव+आगत-नवागत, संधि का पहला वर्ण ‘व’-अ-स्वर वाला है), संधि का पहला वर्ण यदि व्यंजन वर्ण हो तो ‘व्यंजन संधि’ (जैसे-वाक्+ईश- वागीश, संधि का पहला वर्ण ‘क्’ व्यंजन वर्ण है) एवं संधि का पहला वर्ण यदि विसर्गयुक्त हो तो ‘विसर्ग संधि’ (जैसे- मनः+रथ – मनोरथ, संधि का पहला वर्ण ‘नः’ विसर्गयुक्त है) होता है।

i.स्वर संधि किसे कहते हैं

स्वर के बाद स्वर अर्थात् दो स्वरों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है, स्वर संधि कहलाता है, जैसे-

सूर्य + अस्त = सूर्यास्त

महा + आत्मा = महात्मा

स्वर संधि के निम्नलिखित पॉच भेद हैं

1.दीर्घ संधि

2.गुण संधि

3.वृद्धि संधि

4.यण संधि

5.अयादि संधि।

1.दीर्घ संधि किसे कहते हैं

हृस्व या दीर्घ ‘अ’, ‘इ’, ‘उ’, के पश्चात क्रमशः हृस्व या दीर्घ ‘अ’, ‘इ’, ‘उ’ स्वर आएँ तो दोनों को मिलाकर दीर्घ ‘आ’, ‘ई’, ‘ऊ’ हो जाते हैं, जैसे

अ + अ = आ      धर्म + अर्थ = धर्मार्थ

                         स्व + अर्थी = स्वार्थी

अ + आ = आ     देव + आलय = देवालय

                         नव + आगत = नवागत

आ + अ = आ     परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी

                         सीमा + अंत = सीमांत

आ + आ = आ    महा + आत्मा = महात्मा

                         विद्या + आलय = विद्यालय

इ + इ = ई           अति + इव = अतीव

                         कवि + इंद्र = कवींद्र

इ + ई = ई           गिरि + ईश = गिरीश

                         परि + ईक्षा = परीक्षा

ई + इ = ई           मही + इंद्र = महींद्र

                         योगी + इंद्र = योगींद्र

ई + ई = ई           रजनी + ईश = रजनीश

                         योगी + ईश्वर = योगीश्वर

उ + उ = ऊ          भानु + उदय = भानूदय

                         विधु + उदय = विधूदय

उ + ऊ = ऊ         लघु + ऊर्मि = लघूर्मि

                         धातु + ऊष्मा = धातूष्मा

ऊ + उ = ऊ         वधू + उत्सव = वधूत्सव

                         भू + उत्सर्ग = भूत्सर्ग

ऊ + ऊ = ऊ        सरयू + ऊर्मि = सरयूर्मि

                         भू + ऊष्मा = भूष्मा

2.गुण संधि किसे कहते हैं

यदि ‘अ’ और ‘आ’ के बाद ‘इ’ या ‘ई’, ‘उ’ या ‘ऊ’ और ‘ऋ’ स्वर आए तो दोनों के मिलने से क्रमशः ‘ए’, ‘ओ’ और ‘अर्’ हो जाते हैं, जैसे-

अ + इ = ए         नर + इंद्र = नरेंद्र

                        सुर + इंद्र = सुरेंद्र

अ + ई = ए         नर + ईश = नरेष

                        परम + ईश्वर = परमेश्वर

आ + इ = ए        रमा + इंद्र = रमेंद्र

                        महा + इंद्र = महेंद्र

आ + ई = ए       महा + ईश = महेश

                       उमा + ईश = उमेश

अ + उ = ओ     वीर + उचित = वीरोचित

                       मानव + उचित = मानवोचित

अ + ऊ = ओ    सूर्य + ऊर्जा = सूर्योर्जा

                      नव + ऊढ़ा = नवोढ़ा

आ + उ = ओ   महा + उदय = महोदय

                      महा + उत्सव = महोत्सव

आ + ऊ = ओ  दया + ऊर्मि – दयोर्मि

                      महा + ऊर्जा – महोर्जा

अ + ऋ = अर्   देव + ऋषि = देवर्षि

                      सप्त + ऋषि = सप्तर्षि

आ + ऋ = अर्  महा + ऋषि = महर्षि

3.वृद्धि संधि किसे कहते हैं

‘अ’ या ‘आ’ के बाद ‘ए’ या ‘ऐ’ आए तो दोनों के मेल से ‘ऐ’ हो जाता है तथा ‘अ’ और ‘आ’ के पश्चात  ‘ओ’ या ‘औ’ आए तो दोनों के मेल से ‘औ’ हो जाता है, जैसे-

अ + ए = ऐ     एक + एक = एकैक

                    लोक + एषणा = लोकैषणा

अ + ऐ = ऐ    मत + ऐक्य – मतैक्य

                    धन + ऐश्वर्य  = धनैश्वर्य

आ + ए = ऐ   सदा + एव = सदैव

                   तथा + एव = तथैव

आ + ऐ = ऐ   महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य

                    रमा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य

अ + ओ = औ  वन + औषधि = वनौषधि

                    दंत + ओष्ठ = दंतौष्ठ

अ + औ = औ   परम + औदार्य = परमौदार्य

                       परम + औषध = परमौषध

आ + ओ = औ  महा + ओजस्वी = महौजस्वी

                       महा + ओज = महौज

आ + औ = औ  महा + औषध = महौषध

                       महा + औदार्य = महौदार्य

4.यण् संधि किसे कहते हैं

यदि ‘इ’, ‘ई’, ‘उ’, ‘ऊ’ और ‘ऋ’ के बाद भिन्न स्वर आए तो ‘इ’ और ‘ई’ का ‘य’, ‘उ’ और ‘ऊ’ का ‘व’ तथा ‘ऋ’ का ‘र्’ हो जाता है, जैसे-

इ + अ = य     अति + अधिक = अत्यधिक

                     यदि + अपि = यद्यपि

इ + आ = या   इति + आदि = इत्यादि

                     अति + आचार = अत्याचार

इ + उ = यु      उपरि + उक्त = उपर्युक्त

                    अति + उत्तम = अत्युत्तम

इ + ऊ = यू     नि + ऊन = न्यून

                    वि + ऊह = व्यूह

इ + ए = ये     प्रति + एक =  प्रत्येक

                अधि + एषणा = अध्येषणा

5.अयादि संधि किसे कहते हैं

यदि ‘ए’, ‘ऐ’, ‘ओ’, ‘औ’ स्वरों का मेल दूसरे स्वरों से हो तो ‘ए’ का ‘अय’, ऐ का आय्, ओ का अव् तथा औ का आव् के रूप में परिवर्तन हो जाता है। जैसे-

ए + अ = अय      ने + अन = नयन

                         शे + अन = शयन

ऐ + अ = आय     नै + अक = नायक

                         गै + अक = गायक

ऐ + इ = आयि     नै + इका = नायिका

                         गै + इका = गायिका

ओ + अ = अव    पो + अन = पवन

                         भौ + अन = भवन

ओ + इ = अवि    पो + इत्र = पवित्र

                         गो + इनि = गविनी

ओ + ई = अवी    गो + ईश = गवीश

औ + अ = आव   पौ + अन = पावन

                         पौ + अक = पावक

औ + इ = आवि   नौ + इक = नाविक

                         भौ + इनि = भाविनी

औ + उ = आवु    भौ + उक = भावुक

ii.व्यंजन संधि किसे कहते हैं

व्यंजन के बाद स्वर या व्यंजन आने से जो परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन संधि कहते है, जैसे

वाक् + ईश = वागीश

सत् + जन = सज्जन

उत् + हार = उद्धार

विसर्ग संधि

iii.विसर्ग संधि किसे कहते हैं

विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन आने पर विसर्ग में जो विकार होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं, जैसे

निः + आहार  = निराहार

दुः + आशा  = दुराशा

तपः + भूमि = तपोभूमि

मनः + योग = मनोयोग

संधि किसे कहते हैं  MCQ

1.दो वर्णो के मेल से होने वाले विकार को कहते हैं

A.संधि

B.समास

C.उपसर्ग

D.प्रत्यय

2.संधि कितने प्रकार के होते हैं?

A.1

B.2

C.3

D.4

3.तपोवन में प्रयुक्त संधि का नाम है

A.स्वर संधि

B.व्यंजन संधि

C.विसर्ग संधि

D.इनमें से कोई नहीं

4.गिरीश का सही विच्छेद है

A.गिरी + इश

B.गिरी + ईश

C.गिर् + इश

D.गिर् + ईश

5.स्वर संधि के कितने भेद हैं?

A.3

B.4

C.5

D.7

6.भानूदय में प्रयुक्त संधि का नाम है

A.व्यंजन संधि

B.दीर्घ संधि

C.गुण संधि

D.वृद्धि संधि

7.सूर्योदय में प्रयुक्त संधि का नाम है

A.गुण संधि

B.वृद्धि संधि

C.यण् संधि

D.दीर्घ संधि

8.हरिश्चन्द्र में प्रयुक्त संधि का नाम है

A.स्वर संधि

B.व्यंजन संधि

C.विसर्ग संधि

D.इनमें से कोई नहीं

9.मनः + भाव?

A.मन्भाव

B.मनहयाव

C.मनोभाव

D.मनयाव

10.सज्जन का संधि विच्छेद क्या है?

A.सज + जन

B.सत् + जन

C.सज्ज + न

D.स + ज्जन

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