लेव सिमकोविच वाइगोत्सकी का सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत

लेव सिमकोविच वाइगोत्सकी सोवियत रूस के एक मनोवैज्ञानिक थे। उन्होंने बालकों के सामाजिक विकास से सम्बन्धित एक सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। वाइगोत्सकी द्वारा प्रतिपादित इस संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्त को सामाजिक सांकृतिक सिद्धान्त के नाम से भी जाना जाता है।

सामाजिक विकास

समाजिक विकास का शाब्दिक अर्थ होता है, समाज के अन्तर्गत रहकर विभिन्न पहलुओं को सीखना अर्थात् समूह के स्तर पर परम्पराओं एवं रीति रिवाजों के अनुकूल स्वंय को ढालना, एकता, मेल जोल तथा पारम्परिक सहयोग की भावना को आत्मसात करना। समाज के अन्तर्गत ही चरित्र निर्माण तथा जीवन से सम्बन्धित व्यावहारिक गुणों इत्यादि का विकास होता है।

बालकों के विकास की प्रथम पाठशाला परिवार को माना गया है, तत्पश्चात समाज को एक दूसरों के सम्पर्क में आने से समाजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। सामाजिक विकास के माध्यम से बालकों का जुड़ाव व्यापक हो जाता है। सम्बन्धों के दायरे में वृद्धि अर्थात् माता-पिता एवं भाई-बहन के अतिरिक्त दोस्तों से जुड़ना।

सामाजिक विकास के माध्यम से बालकों में सांस्कृतिक, धार्मिक तथा सामुदायिक इत्यादि भावनाएं उत्पन्न होती हैं। बालकों के मन में आत्म-सम्मान, स्वाभिमान तथा विचारधारा का जन्म होता है। बालक समाज के माध्यम से ही अपने आदर्श व्यक्तियों का चयन करता है तथा कुछ बनने की प्रेरणा उनसे लेता है।

वाइगोत्सकी का सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत

वाइगोत्सकी का सामाजिक सांकृतिक सिद्धान्त बालक के संज्ञानात्मक विकास पर आधारित है। इस सिद्धान्त के अनुसार, बालक का संज्ञानात्मक विकास एक अन्तर्वैयक्तिक सामाजिक परिस्थिति में सम्पन्न होता है। समाज में उसके लिए जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी, उसका विकास भी वैसा ही होगा।

वाइगोत्सकी का सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत निर्माणवाद पर आधारित एक सिद्धान्त है, जो बालक को अपने वास्तविक विकास के स्तर से अलग सम्भाव्य विकास के स्तर की ओर ले जाने की कोशिश करता है। इन दोनों स्तरों के बीच के स्तर को वाइगोत्स्की ने निकट विकास का क्षेत्र कहा है।

वाइगोत्सकी ने बालक के संज्ञानात्मक विकास में भाषा और चिन्तन को भी महत्वपूर्ण साधन के रूप में माना है। छोटे बच्चों द्वारा भाषा का प्रयोग केवल सामाजिक संचार के लिए ही नहीं किया जाता अपितु अपने व्यवहार को नियोजित एवं निर्देषित करने के लिए भी किया जाता है।

बच्चों में भाषा और चिन्तन दोनों ही पहले स्वतंत्र रूप से विकसित होते हैं और बाद में आपस में मिल जाते हैं। निम्नलिखित के आधार पर हम कह सकते हैं कि बालक के संज्ञानात्मक विकास में संकृति एक महत्वपूर्ण कारक है। बालक का संज्ञानात्मक विकास अधिगम के द्वारा ही सम्भव है। बालक के संज्ञानात्मक विकास की व्याख्या एक अकेले अमूर्त सिद्धान्त के आधार पर नहीं की जा सकती  है।

बालक का संज्ञानात्मक विकास सामाजिक क्रियाओं के अन्त:करण के आधार पर होता है। निकट विकास का क्षेत्र मानसिक कार्यों पर आधारित है जो वास्तविक क्षमता स्तर तथा कार्यकारी क्षमता स्तर के मध्य के अन्तर से सम्बन्धित है।

वाइगोत्सकी के सिद्धांत में खेल की भूमिका

वाइगोत्सकी का विश्वास था कि खेल संज्ञानात्मक, भावात्मक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देता है। विकास में खेल के महत्व के बारे में वाइगोत्स्की का दृष्टिकोण समन्वयकारी था। वाइगोत्स्की का मानना था कि खेल बच्चों को अपने व्यवहार पर नियन्त्रण की क्षमता देने वाला मानसिक उपकरण है।

खेल में जो कल्पित स्थितियॉ खड़ी की जाती हैं, वे बच्चे के व्यवहार को एक खास तरह से नियन्त्रित करने वाली और दिशा देने वाली प्रथम बाधाएं हैं। खेल व्यवहार को संगठित करता है। खेल विकास के संज्ञानात्मक और सामाजिक विकास के अलावा स्कूल सम्बन्धी कौषलों को भी लाभ पहॅुचाते हैं।

उदाहरण के लिए शाब्दिक अभिव्यक्ति, शब्द-भण्डार, समझ, अवधान की अवधि, कल्पनाशील, एकाग्रता, आवेश पर नियन्त्रण, जिज्ञासा, समस्या-समाधान की ओर अधिक युक्तियॉ, सहयोग, सहानुभूति और सामूहिक भागीदारी इनमें शामिल हैं। अधिगम की अन्य गतिविधियों की अपेक्षा खेल के दौरान बच्चों के मानसिक कौशल उच्चतर स्तर पर होते हैं। वाइगोत्सकी के अनुसार खेल विकास को तीन तरीके से प्रभावित करता है।

  • खेल बच्चे के निकट विकास क्षेत्र का निर्माण करता है।
  • खेल कार्यों और वस्तओं को विचार से अलग करने का काम करता है।
  • खेल आत्मनियन्त्रण के विकास में सहायक होता है।

वाइगोत्सकी का समीपस्थ विकास का क्षेत्र

वाइगोत्सकी का समीपस्थ विकास का क्षेत्र वाइगोत्स्की के सामाजिक सांकृतिक सिद्धान्त का एक भाग है। इसके अन्तर्गत वाइगोत्स्की ने एक सम्प्रत्यय दिया था, जिसका नाम था स्कैफोल्डिंग (सहारा देना)। स्कैफोल्डिंग का अर्थ होता है, जब बच्चा किसी समस्या के समाधान के लिए किसी वयस्क या साथी के मार्गदर्शन की उपस्थिति में कार्य करता है तो वह प्रक्रिया स्कैफोल्डिंग कहलाती है। जब बच्चा किसी समस्या के समाधान का हल किसी की मार्गदर्शन में करता है तो वह प्रक्रिया ’सहारा देना’ कहलाती है।

वाइगोत्सकी का सिद्धांत प्रमुख प्रश्नोत्तर

Q.1- लेव वाईगोत्स्की का सामाजिक-सांस्कतिक परिप्रेक्ष्य, अधिगम प्रक्रिया में…….के महत्व पर जोर देता है

1. अभिप्रेरणा

2. सन्तुलीकरण

3. सांस्कृतिक उपकरणों

4.गुणारोपण

Ans- 3. सांस्कृतिक उपकरणों

Q.2- जिग सॉ पहेली को करते समय 5 Year की नज्मा स्वयं से कहती है, “नीला टुकड़ा कहॉ है? नहीं, यह वाला नहीं, गाढ़ं रंग वाला जिससे यह जूता पूरा बन जाएगा।“ इस प्रकार की वार्ता को वाइगोत्स्की किस तरह सम्बोधित करते हैं?

 1. व्यक्तिगत वार्ता

2. जोर से बोलना

3. पाड़

4. आत्मकेन्द्रित वार्ता

Ans- 1. व्यक्तिगत वार्ता

Q.3- बच्चों को संकेत देना तथा आवश्यकता पड़ने पर सहयोग प्रदान करना, निम्नलिखित में से किसका उदाहरण है?

1. प्रबलन

2. अनुबन्धन

3. मॉडलिंग

 4. पाड़

Ans- 4. पाड़

Q.4- निम्नलिखित में से कौन-सा द्वितीयक समाजीकरण एजेन्सी का उदाहरण है?

1. परिवार एवं पास-पड़ोस

2. परिवार एवं मीडिया

3. विद्यालय एवं मीडिया

 4. मीडिया एवं पास-पड़ोस

Ans- 4. मीडिया एवं पास-पड़ोस

Q.5- लेव वाईगोत्स्की के अनुसार, अधिगम

1. एक अनुबन्धित गतिविधि है

2. एक सामाजिक गतिविधि है

3. एक व्यक्तिगत गतिविधि है

4. एक निष्क्रिय गतिविधि है

Ans- 2. एक सामाजिक गतिविधि है

Q.6- ……….के अलावा, निम्नलिखित कारणों से खेल युवा बच्चों के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।

1. वे नए कौशल हासिल करते हैं और सीखते है कि उन्हें कब उपयोग किया जाए

2. वे अपने शरीर पर निपुणता प्राप्त करते हैं

3. यह उनकी इन्द्रियों को उत्तेजित करता है

 4. यह समय बिताने का एक सुखद तरीका है

Ans- 4. यह समय बिताने का एक सुखद तरीका है

Q.7- वाईगोत्स्की के अनुसार, संज्ञानात्मक विकास का मूल कारण है

1. सामाजिक अन्योन्यक्रिया

2. मानसिक प्रारूपों (स्कीमा) का समायोजन

3. उद्दीपक-अनुक्रिया युग्मन

4. सन्तुलन

Ans- 1. सामाजिक अन्योन्यक्रिया

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