वायुमण्डल में 78% नाइट्रोजन, 20.98% ऑक्सीजन, 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड, 0.93% ऑर्गन तथा शेष जलवाष्प, धूल आदि उपलब्ध होते हैं। वायुमण्डल नीचे से ऊपर क्षोभमण्डल, समतापमण्डल, मध्यमण्डल, आयनमण्डल, एवं बर्हिमण्डल में विभाजित किया गया होता है। वायु प्रदूषण विभिन्न हानिकारक गैसों, धुएँ, विषैले रसायनों, आदि के अधिकता में होने से उत्पन्न होता है।
वायु प्रदूषण क्या है
जब वायु अनचाहे पदार्थों के द्वारा संदूषित हो जाती है जो सजीव तथा निर्जीव दोनों के लिए हानिकर है, तो इसे वायु प्रदूषण कहते हैं। वायु के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा अवॉछनीय परिवर्तन, जिससे जीव-जन्तुओं पर विपरीत प्रभाव हो, वायु प्रदूषण कहलाता है।
हम कुछ समय तक भोजन के बिना जीवित रह सकते हैं परंतु वायु के बिना तो हम कुछ क्षण भी जीवित नहीं रह सकते। यह साधारण तथ्य हमें बताता है कि स्वच्छ वायु हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है। आप यह जानते हैं कि वायु गैसों का मिश्रण है। पृथ्वी के चारों ओर उपस्थित कई किलोमीटर तक अदृष्य गैसीय आवरण उपस्थित होता है, जिसे वायुमण्डल कहते है।
वायु प्रदूषण क्या है: प्रकार
वायु प्रदूषण को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है
1.प्राथमिक प्रदूषक
वे प्रदूषक जो पर्यावरण (अर्थात् जीव जगत के चारों ओर का वातावरण) को उत्पाद रूप में हानि पहॅुचाते हैं, प्राथमिक प्रदूषक कहलाते हैं। महत्वपूर्ण प्राथमिक आदि CO2, CO, SO2, NO2, CFC आदि हैं।
2.द्वितीयक प्रदूषक
वे प्रदूषक जो प्राथमिक प्रदूषकों के परिवर्तन (मुख्यतया रासायनिक परिवर्तन) के कारण पर्यावरण को हानि पहुँचाने वाले पदार्थो में परिवर्तित हो जाते हैं, द्वितीयक प्रदूषक कहलाते हैं। द्वितीयक वायु प्रदूषक, परऑक्सी एसीटिल नाइट्रेट आदि है।
वायु प्रदूषण क्या है: कारण
जो पदार्थ वायु को संदूषित करते हैं उन्हें वायु प्रदूषक कहते हैं। कभी-कभी ये प्रदूषक प्राकृतिक स्रोतों जैसे ज्वालामुखी का फटना, वनों में लगने वाली आग से उठा धुआँ अथवा धूल द्वारा आ सकते हैं। मानवीय क्रियाकलापों के द्वारा भी वायु में प्रदूषक मिलते रहते हैं। इन वायु प्रदूषकों का स्रोत फैक्टरी, विद्युत संयंत्र, स्वचालित वाहन निर्वातक, जलावन लकड़ी तथा उपलों के जलने से निकला हुआ धुआँ हो सकता है बहुत सी श्वसन समस्याएँ वायु प्रदूषण के कारण होती हैं
1.वाहनों की बढ़ती संख्या
वाहन अधिक मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड तथा धुआँ उत्पन्न करते हैं। पेट्रोल तथा डीजल जैसे ईंधनों के अपूर्ण दहन से कार्बन मोनोऑक्साइड उत्पन्न होती है। यह एक विषैली गैस है। यह रुधिर में ऑक्सीजन-वाहक क्षमता को घटा देती है। सर्दियों में वायुमंडल में दिखने वाली कोहरे जैसी मोटी परत याद है। यह धूम- कोहरा होता है जो धुएँ तथा कोहरे से बनता है। धुएँ में नाइट्रोजन के ऑक्साइड उपस्थित हो सकते हैं जो अन्य वायु प्रदूषकों तथा कोहरे के संयोग से धूम कोहरा बनाते हैं। बहुत से उद्योग भी वायु प्रदूषण के लिए उत्तरदायी हैं
2.पेट्रोलियम रिफाइनरी
पेट्रोलियम रिफाइनरी सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे गैसीय प्रदूषकों की प्रमुख स्रोत हैं। विद्युत संयंत्रों में कोयला जैसे ईंधन के दहन से सल्फर डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है। यह फेफड़ों को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त करने के साथ-साथ श्वसन समस्याएँ भी उत्पन्न कर सकती है।
3.क्लोरोफ्रलोरो कार्बन
क्लोरोफ्रलोरो कार्बन (CFC) हैं जिनका उपयोग रेप्रिफजरेटरों, एयर कण्डीशनरों तथा ऐरोसॉल फुहार में होता है। CFCs के द्वारा वायुमंडल की ओजोन परत क्षतिग्रस्त हो जाती है। याद कीजिए, ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकर पराबैंगनी किरणों से हमें बचाती है। क्या आपने ओजोन छिद्र के बारे में सुना है? इसके बारे में जानने का प्रयास कीजिए। अच्छा है कि CFCs के स्थान पर अब कम हानिकारक रसायनों का प्रयोग होने लगा है।
वायु प्रदूषण क्या है: प्रभाव
मानव जीवन में वायु प्रदूषण की महत्वपूर्ण भूमिका है यदि वायु प्रदूषण अधिक होगा तो जीवन समाप्त हो जायेगा
1.ताजमहल के संगमरमर पीला होना
पिछले दो दशकों से अधिक समय से पर्यटकों को सर्वाधिक आकर्षित करने वाला भारत के आगरा शहर में स्थित ताजमहल, चिंता का विषय बना हुआ है। विशेषज्ञों ने यह चेतावनी दी है कि वायु प्रदूषक इसके सफ़ेद संगमरमर को बदरंग कर रहे हैं। अतः वायु प्रदूषण द्वारा केवल सजीव ही प्रभावित नहीं होते किन्तु भवन, स्मारक तथा प्रतिमाएँ जैसी निर्जीव वस्तुएँ भी प्रभावित होती हैं।
आगरा तथा इसके चारों ओर स्थित रबड़ प्रक्रमण, स्वचालित वाहन, रसायन और विशेषकर मथुरा तेल परिष्करणी जैसे उद्योग सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषकों को उत्पन्न करने के लिए उत्तरदायी रहे हैं। ये गैसें वायुमंडल में उपस्थित जलवाष्प से अभिक्रिया करके सल्फ्रयूरिक अम्ल तथा नाइट्रिक अम्ल बनाती हैं। ये वर्षा को अम्लीय बनाकर वर्षा के साथ पृथ्वी पर बरस जाते हैं। इसे अम्ल वर्षा कहते हैं। अम्ल वर्षा के कारण स्मारक के संगमरमर का संक्षारण होता है। इस परिघटना को संगमरमर कैंसर भी कहते हैं। मथुरा तेल परिष्करणी से उत्सर्जित काजल कण जैसे निलंबित कणों का संगमरमर को पीला करने में योगदान है।
2.ग्लोबल वार्मिंग
एक गंभीर संकट ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र तल में एक आश्चर्यजनक वृद्धि हो सकती है। कई स्थानों पर तटीय प्रदेश जलमग्न हो चुके हैं। ग्लोबल वार्मिंग के विस्तृत प्रभाव वर्षा-प्रतिरूप, कृषि, वन, पौधे तथा जंतुओं पर हो सकते हैं। ऐसे क्षेत्रों में जो ग्लोबल वार्मिंग से आशंकित हैं, रहने वाले अधिकांश व्यक्ति एशिया में हैं। हाल ही में प्राप्त मौसम परिवर्तन की रिपोर्ट के अनुसार पौधा-घर गैसों को वर्तमान स्तर तक रखने के लिए हमारे पास सीमित समय है।
अन्यथा शताब्दी के अंत तक 2°C तक ताप में वृद्धि हो सकती है जो संकटकारी स्तर है। ग्लोबल वार्मिंग विश्वव्यापी सरकारों के लिए विचारणीय विषय बन गया है। बहुत से देशों ने पौध-घर गैसों के उत्सर्जन में कमी करने के लिए एक अनुबंध किया है। संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अंतर्गत कयोटो प्रोटोकॉल एक ऐसा ही अनुबंध है जिस पर बहुत से देश हस्ताक्षर कर चुके हैं। पृथ्वी के ताप में केवल 0.5°C जितनी कम वृद्धि के इतने गंभीर परिणाम हो सकते हैं। पहेली उसे यह बताती है कि अभी हाल ही में समाचार पत्रों में उसने यह पढ़ा था कि हिमालय के गंगोत्राी हिमनद विश्व ऊष्णन के कारण पिघलने आरम्भ हो गए है।
3.पौध घर प्रभाव
सूर्य की किरणें वायुमंडल से गुजरने के पश्चात् पृथ्वी की सतह को गरम करती हैं। पृथ्वी पर पड़ने वाले सूर्य के विकिरणों का कुछ भाग पृथ्वी अवशोषित कर लेती है और कुछ भाग परावर्तित होकर वापस अंतरिक्ष में लौट जाता है। परावर्तित विकिरणों का कुछ भाग वायुमंडल में रुक जाता है। ये रुका हुआ विकिरण पृथ्वी को और गरम करता है। सूर्य की ऊष्मा पौध-घर में प्रवेश तो कर जाती है पर इससे बाहर नहीं निकल पाती। यही रुकी हुई ऊष्मा पौधा-घर को गरम करती है। पृथ्वी के वायुमंडल द्वारा रोके गए विकिरण यही कार्य करते हैं। यही कारण है कि उसे पौध-घर प्रभाव (Green House effect) कहते हैं।
वायु प्रदूषण क्या है:उपाय
ताजमहल को सुरक्षित रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने बहुत से उपाय किए हैं। माननीय न्यायालय द्वारा उद्योगों को CNG (संपीडित प्राकृतिक गैस) तथा LPG (द्रवित पेट्रोलियम गैस) जैसे स्वच्छ ईंधनों का उपयोग करने के आदेश दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त ताज के क्षेत्र में मोटर वाहनों को सीसारहित पेट्रोल का उपयोग करने के आदेश हैं।
कुछ वर्ष पूर्व दिल्ली संसार में सर्वाधिक प्रदूषित नगर था। यहाँ पेट्रोल तथा डीजल से चलने वाले मोटर वाहनों से निकले धुएँ के कारण दमघोटू (श्वासरोधी) वातावरण था। वाहनों को सीसारहित पेट्रोल, CNG जैसे अन्य ईंधनों द्वारा चलाए जाने का निर्णय लिया गया। इन उपायों द्वारा शहर की वायु अपेक्षाकृत स्वच्छ हो गयी है। आप भी कुछ ऐसे उदाहरण जानते होंगे जिनसे आपके क्षेत्रा में वायु प्रदूषण को कम किया गया है।
वायु प्रदूषण क्या है: रोग
- पत्थरों की कटाई तथा पिसाई में लगे मजदूरों में सिलिकोसिस नामक रोग हो जाता है।
- भारत में मुख्य वायु प्रदूषण दूर्घटना भोपाल में 2-3 दिसम्बर 1984 में यूनियन कार्बाइड के कीटनाशी कारखाने से मिथाइल आइसो सायनेट गैस के रिसाव के कारण हुई।
- 1 से अधिक मनुष्यों की ऑखों में जलन एवं श्वसन क्षेत्र को श्वसनीषोथ, दमा के रूप में प्रभावित करती है
- कार्बन मोनॉक्साइड गैस की अधिक मात्रा के कारण यह रूधिर के हीमोग्लोबिन में घुलकर स्थायी यौगिक कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन बनाती है, जिससे सॉस लेने में कठिनाई होती है, और अन्त में श्वासावरोध के कारण मृत्यु हो सकती है।
- इसके कारण साँस लेने में कठिनाई वाले रोग, जैसे दमा, खाँसी तथा बच्चों में साँस के साथ हरहराहट उत्पन्न हो जाते हैं।
कुछ प्रमुख प्रदूषक
- वाहनों में प्रयोग होने वाले पेट्रोलियम में टेट्राइथाइल लेड तथा टेट्रामिथाइल लेड जैसे कणिकीय प्रदूषक पाए जाते हैं।
- रेफ्रिजरेटरों तथा जेट हवाई जहाजों से विमोचित एरोसॉल में फलोरोकार्बन होता है, जो ओजोन परत को नष्ट करता है।
- पृथ्वी के तापमान में वृद्धि वैश्विक उष्णता मुख्यतया CO2 की अधिक सान्द्रता के कारण है। हरितगृह प्रभाव कहलाती है। CO2, CO, SO2, NO2, CFC आदि प्रमुख हरितगृह गैसें है।
- जल के साथ SO2 तथा CO2 का मिश्रण अम्लीय वर्षा कहलाता है। यह अनेक पदार्थो को क्षतिग्रस्त कर देते है।
- वायुमण्डल में ओजोन की परत हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर पहुंचने से रोकती है। क्लोरोफलोरोकार्बन्स के कारण ओजाने की परत नष्ट हो रही है, इसे ओजोन छिद्र कहते है।
वायु प्रदूषण क्या है FAQ
ग्लोबल वार्मिंग क्या है
वायु में CO2 की अधिकता हो तो यह प्रदूषक की भांति कार्य करती है । एक ओर तो मानवीय क्रियाकलापों के कारण निरन्तर CO2 वातावरण में मोचित हो रही है तथा दूसरी ओर वन क्षेत्र घट रहा है । पौधे प्रकाश-संश्लेषण के लिए वायुमंडल से CO2 का उपयोग करते हैं जिसके कारण वायु में CO2 की मात्रा कम हो जाती है । वनोन्मूलन के कारण वायु में CO2 की मात्रा बढ़ जाती है क्योंकि CO2 की खपत करने वाले वृक्षों की संख्या घट जाती है । इस प्रकार मानवीय क्रियाकलाप वायुमंडल में CO2 के संचय में योगदान देते हैं । CO2 उष्मा को रोक लेती है और उसे वायुमंडल में नहीं जाने देती । परिणामस्वरूप वायुमंडल के औसत ताप में निरन्तर वृद्धि हो रही है । इसे ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) कहते हैं । मेथैन, नाइट्रस ऑक्साइड तथा जलवाष्प जैसी अन्य गैसें भी ग्लोबल वार्मिंग में योगदान करती हैं ।