यदि कोई वस्तु अन्य वस्तुओं के सापेक्ष समय के साथ स्थान परिवर्तित करती है, तो वस्तु की इस अवस्था को गति कहा जाता है। यदि कोई वस्तु अपनी स्थिति को अपने चारों ओर की वस्तुओं की अपेक्षा बदलती रहती है, तो वस्तु की यह स्थिति गति कहलाती है। जैसे हवा में उड़ता हुआ वायुयान।
न्यूटन के गति के नियम
सर आइजक न्यूटन ने बल एवं गति की व्याख्या के लिए तीन नियमों का प्रतिपादन किया, जिन्हें न्यूटन के गति के नियम कहा जाता है।
न्यूटन का गति का प्रथम नियम
प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में बनी रहती है, जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल कार्यरत न हो। दूसरे शब्दों में, सभी वस्तुएं अपनी गति की अवस्था में परिवर्तन का विरोध करती हैं। गुणात्मक रूप में किसी वस्तु के विरामावस्था में रहने या समान वेग से गतिशील रहने की प्रवृत्ति को ज ड़त्व कहते हैं।गति के पहले नियम को जड़त्व का नियम भी कहते हैं।
न्यूटन का गति का द्वितीय नियम
गति का द्वितीय नियम यह बताता है कि किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगने वाले असंतुलित बल की दिशा में बल के समानुपाती होती है। गति का द्वितीय नियम यह बताता है कि जब कोई असंतुलित बाह्य बल किसी वस्तु पर कार्य करता है, तो उसके वेग में परिवर्तन होता है अर्थात वस्तु त्वरण प्राप्त करती है। गति के द्वितीय नियम को संवेग का नियम भी कहते हैं। यदि किसी वस्तु का संवेग (P), द्रव्यमान (m) एवं वेग (v) हो, तो संवेग p = mv
संवेग में परिमाण और दिशा दोनों होते हैं। इसकी दिशा वही होती है जो वेग v की दिशा होती है। न्यूटन के द्वितीय नियम से बाल का समीकरण प्राप्त होता है। यदि किसी द्रव्यमान (m) की वस्तु पर बल (F) लगने से उसमें त्वरण (a) उत्पन्न होता है, तो F = m.a न्यूटन
न्यूटन का गति का तृतीय नियम
गति का तृतीय नियम के अनुसार, प्रत्येक क्रिया के समान एवं विपरीत प्रतिक्रिया होती है। यह दो विभिन्न वस्तुओं पर कार्य करती है। जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगती है, तब दूसरी वस्तु द्वारा पहले वस्तु पर तात्क्षणिक बल लगाया जाता है। यह दोनों बल परिणाम में सदैव समान लेकिन दिशा में विपरीत होते हैं। गति के तृतीय नियम को क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम भी कहते हैं। रॉकेट का प्रक्षेपण, बंदूक से गोली चलाने पर, चलाने वाले के पीछे की ओर धक्का लगना इत्यादि, गति के तृतीय नियम के उदाहरण है।
गति
समय के साथ किसी निर्देश बिंदु से जब कोई वस्तु अपनी स्थिति को परिवर्तित करती है, तो उसे गति की अवस्था में कहा जाता है। किसी व्यक्ति के लिए एक वस्तु गतिशील प्रतीत हो सकती है, जबकि दूसरी के लिए स्थिर।
गति के प्रकार
गति के अनेक प्रकार होते हैं, जिनमें से प्रमुख निम्न है
1. रेखीय गति
जब कोई वस्तु सीधी या वक्र रेखा पर गति करती है, तो यह उस वस्तु की रेखीय गति की अवस्था कहलाती है। जैसे- सड़क पर चलता हुआ आदमी, बंदूक से छोड़ी गई गोली आदि।
2. यादृच्छिक गति
गति की ऐसी अवस्था, जिसमें गति किसी निश्चित पद पर एवं निश्चित दिशा में ना हो यादृच्छिक गति कहलाती है। जैसे- मक्खी की गति, फुटबॉल के मैदान में खिलाड़ियों की गति आदि।
3. दोलन गति
जब कोई वस्तु एक निश्चित बिंदु के आगे-पीछे या इर्द-गिर्द (ऊपर नीचे) गति करती है, तो उसे दोलन गति की अवस्था में कहा जाता है। जैसे झूले की गति।
4. आवर्त गति
जब कोई वस्तु अपनी गति को निश्चित समय अंतरालों पर दोहराती है, तो उसे आवर्त गति कहा जाता है। जैसे- सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति, लोलक की गति आदि।
5. वृत्तीय गति
वृताकार पथ पर गतिमान वस्तुओं की स्थिति वृत्तीय गति की अवस्था कहलाती है। जैसे पृथ्वी द्वारा सूर्य का परिक्रमा।
6. गुरुत्वीय गति
यदि किसी वस्तु को ऊपर की ओर फेंक दिया जाता है या नीचे की ओर गिराया जाता है, तो वस्तु पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र में गति करती है। इस प्रकार की गति गुरुत्वीय गति कहलाती है। जैसे किसी फल का पेड़ से पक कर गिर जाना।
गति संबंधी परिभाषाएं
1. दूरी- किसी गतिमान वस्तु द्वारा तय किए गए पथ की लंबाई दूरी कहलाती है। यह एक अदिश राशि है। इसका केवल परिणाम होता है दिशा नहीं।
2. ओडोमीटर या ओडोग्राफ- यह एक उपकरण किसी गतिशील वाहन द्वारा चली गई दूरी को व्यक्त करता है। इसे माइलोमीटर भी कहा जाता है।
3. विस्थापन- किसी अंतिम बिंदु तथा प्रारंभिक बिंदु के मध्य की दूरी विस्थापन कहलाती है। यह एक सदिश राशि है, जिसमें परिमाण एवं दिशा दोनों होते हैं।
सदिश तथा अदिश राशि
ऐसी भौतिक राशियाँ, जिनमें परिमाण के साथ-साथ दिशा भी होती है, सदिश राशि कहलाती है। उदाहरण- वेग, विस्थापन, त्वरण, बल, संवेग, आवेग, बल-आघूर्ण आदि।
ऐसी भौतिक राशियां, जिनमें केवल परिमाण होता है, दिशा नहीं, अदिश राशि कहलाती है। द्रव्यमान, चाल, कार्य, समय, ऊर्जा आदि आदिश राशियाँ के उदाहरण है।
एक समान गति तथा असमान गति
जब वस्तु समान समय अंतराल में समान दूरी तय करती है, तो उसकी गति को एक समान गति कहते हैं। इस प्रकार की गति में समय अंतराल छोटा या बड़ा हो सकता है।
जब वस्तु समान समय अंतराल में एक समान दूरी तय नहीं करती है, तो इसकी इस प्रकार की गति को असमान गति कहते हैं। उदाहरण के लिए, भीड़ वाली सड़क पर जा रही कर या पार्क में व्यायाम कर रहा व्यक्ति।
गति के समीकरण
गति के तीन समीकरण निम्नलिखित है-
इन समीकरणों में (u) वस्तु का प्रारंभिक वेग है, जो (t) समय के लिए एक समान त्वरण (a) से चलती है, (v) अंतिम वेग है तथा (t) समय में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी (s) है (Sn), (n) वे सेकंड में चली गई दूरी।
न्यूटन के गति के नियम प्रश्नोत्तर
Q.1- जब किसी वस्तु पर अनेक बल एक-साथ कार्य करते हैं, तो प्रत्येक बल के कारण, परिमाण व दिशा में त्वरण ऐसे लगता है, जैसे कि
1.केवल दो बल एक साथ कार्यरत् हों
2.अन्य बल कार्यरत् नहीं हैं
3.सभी का परिणामी कार्यरत् है
4.उपरोक्त में से कोई नहीं
Ans- सभी का परिणामी कार्यरत् है
Q.2- एक पुस्तक मेज के तल पर विश्राम की स्थिति में पड़ी है। इस पर लग रहे बल/बलों के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन सत्य है?
1.इस पर सन्तुलित बलों का एक जोड़ा कार्य कर रहा है
2.इस पर केवल गुरूत्वाकर्षण बल कार्य कर रहा है।
3.इस पर कोई बल कार्य नहीं कर रहा है
4.इन पर केवल घर्षण बल कार्य कर रहा है
Ans- इस पर सन्तुलित बलों का एक जोड़ा कार्य कर रहा है
Q.3- एकसमान वेग से गतिमान पिण्ड का त्वरण भी हो, तो उस गति को क्या कहेंगे?
1.सरल रेखीय
2.वृत्तीय गति
3.स्थिर है
4.इनमें से कोई नहीं
Ans- वृत्तीय गति
Q.4- “प्रत्येक क्रिया के सदैव विपरीत एवं एकसमान प्रतिक्रिया होती है’’। इस कथन को कहते हैं
1.न्यूटन का प्रथम नियम
2.न्यूटन का द्वितीय नियम
3.न्यूटन का तृतीय नियम
4.इनमें से कोई नहीं
Ans- न्यूटन का तृतीय नियम
Q.5- वस्तुओं के वर्तमान अवस्था (स्थिर या गतिमान) न बदलने वाले गुण को न्यूटन के कौन-से नियम से समझाया जा सकता है?
1.बल का नियम
2.क्रिया/प्रतिक्रिया का नियम
3.जड़त्व का नियम
4.उपरोक्त में से कोई नहीं
Ans- जड़त्व का नियम
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