जब प्रकाश एक माध्यम, माना वायु से दूसरे पारदर्शक, माध्यम कांच में जाता है, तो इसका कुछ भाग पहले माध्यम में वापस आ जाता है तथा शेष भाग दूसरे माध्यम में प्रवेश कर जाता है। जब यह दूसरे माध्यम से गुजरता है तो इसकी संचरण दिशा परिवर्तित हो जाती है। यह या तो अभिलम्ब की ओर झुक जाती है या अभिलम्ब से दूर हट जाती है। यह घटना अपवर्तन कहलाती है।
प्रकाश का अपवर्तन की परिभाषा
जब किसी पारदर्शी माध्यम में गमन करता कोई प्रकाश किरण-पुंज किसी दूसरे पारदर्शी माध्यम से टकराता है, तो प्रकाश का एक भाग पहले माध्यम में वापस परावर्तित हो जाता है। जबकि शेष भाग दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है। हम प्रायः किसी किरण-पुंज को प्रकाश की किरण द्वारा निरूपित करते हैं। जब कोई प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में तिर्यक आपतित (Oº<I<90º) होकर गमन करती है तो दोनों माध्यमों के अंतरापृष्ठ पर इसके संचरण की दिशा परिवर्तित हो जाती है। इस परिघटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
प्रकाश का अपवर्तन के नियम
प्रकाश का अपवर्तन के दो नियम हैं
1.आपतित किरण, आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब व अपवर्तित किरण तीनों एक ही तल में होते हैं।
2.आपतन कोण की ज्या व अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात एक नियतांक होता है, जिसे दूसरे माध्यम का पहले माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं।
SinI/SinR= n21= Constant
इस नियम को स्नैल का नियम भी कहते हैं ।
याद रखिए, आपतन कोण (i) तथा अपवर्तन कोण (r) वे कोण हैं जो आपतित किरण तथा अपवर्तित किरण क्रमशः अभिलंब के साथ बनाती हैं।
यहाँ n21 एक स्थिरांक है, जिसे पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं। ध्यान देने योग्य बात यह है कि n21 दो माध्यम के युगल का अभिलक्षण है (तथा यह प्रकाश की तरंगदैर्घ्य पर भी निर्भर करता है), परंतु यह आपतन कोण पर निर्भर नहीं करता।
काँच के आयताकार स्लैब से प्रकाश का अपवर्तन
प्रकाश किरण ने अपनी दिशा बिंदुओं O तथा व O’ पर परिवर्तित की हैं नोट कीजिए कि दोनों बिंदु O तथा O’ दोनों पारदर्शी माध्यमों को पृथक् करने वाले पृष्ठों पर स्थित हैं। AB के बिंदु O पर एक अभिलंब MM’ खींचिए तथा दूसरा अभिलंब MM’,CD के बिंदु O’ पर खीचिए। बिंदु O पर प्रकाश किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में अर्थात वायु से काँच में प्रवेश कर रही है। नोट कीजिए कि प्रकाश किरण अभिलंब की ओर झुक जाती है। O’ पर प्रकाश किरण ने काँच से वायु में अर्थात सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश किया है।
प्रकाश किरण अभिलंब से दूर मुड़ जाती है। दोनों अपवर्तक सतहों AB तथा CD पर आपतन कोण तथा अपवर्तन कोण के मानों की तुलना कीजिए। सतह AB पर एक किरण EP तिरछी आपतित है जिसे आपतित किरण कहते हैं। OO’ अपवर्तित किरण है तथा O’H निर्गत किरण हैं आप दखे सकते हैं कि निर्गत किरण, आपतित किरण की दिशा के समानांतर है। ऐसा क्यों होता है? आयाताकार काँच के स्लैब के विपरीत फलकों AB (वायु-काँच अंतरापृष्ठ) तथा CD (काँच-वायु अतंरापृष्ठ) पर प्रकाश किरण के मुड़ने का परिमाण समान तथा विपरीत है। इसी कारण से निर्गत किरण, आपतित किरण के समानांतर निकलती है। तथापि, प्रकाश किरण में थोड़ा सा पाश्विक विस्थापन होता है।
प्रिज्म में प्रकाश का अपवर्तन
किसी प्रिज्म ABC से प्रकाश किरण को गुजरते हुए दर्शाया गया है। पहले फलक AB पर आपतन कोण तथा अपवर्तन कोण क्रमशः i तथा r1 हैं, जबकि दूसरे फलक (काँच से वायु में) AC पर आपतन कोण r2 तथा अपवर्तन कोण या निर्गत कोण e हैं। निर्गत किरण rs तथा आपतित किरण की दिशा PQ के बीच के कोण को विचलन कोण ८ कहते हैं। प्रिज्म कोण A, अपवर्तनांक n2 के किसी प्रिज्म के लिए जो n1 अपवर्तनांक के किसी माध्यम में रखा है।
n21= n2/n1= Sin[(A+Dm)/2]/Sin(A/2)
यहाँ Dm न्यूनतम विचलन कोण है। प्रकाश किरण के पथ को वापस आरेखित करने पर वही विचलन कोण प्राप्त होता है। न्यूनतम विचलन Dm पर, प्रिज्म के अंदर अपवर्तित किरण इसके आधर के समांतर हो जाती है।
प्रकाश का अपवर्तन FAQ
Q.1-प्रकाश का अपवर्तन किसे कहते हैं
Ans- जब कोई प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में तिर्यक आपतित (Oº<I<90º) होकर गमन करती है तो दोनों माध्यमों के अंतरापृष्ठ पर इसके संचरण की दिशा परिवर्तित हो जाती है। इस परिघटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
Q.2- अपवर्तन का प्रथम नियम क्या है
Ans- आपतित किरण, आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब व अपवर्तित किरण तीनों एक ही तल में होते हैं।
Q.3- अपवर्तन का दूसरा नियम क्या है
Ans- आपतन कोण की ज्या व अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात एक नियतांक होता है, जिसे दूसरे माध्यम का पहले माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं।
SinI/SinR= Constant
Q.4- स्नेल का नियम क्या है
Ans- किन्हीं दो माध्यमों के युगल के लिए, आपतन कोण की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात एक स्थिरांक होता है।
SinI/SinR= n21
Q.5- प्रकाश के अपवर्तन के कितने नियम हैं
Ans- प्रकाश के अपवर्तन के दो नियम हैं
1.आपतित किरण, आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब व अपवर्तित किरण तीनों एक ही तल में होते हैं।
2.आपतन कोण की ज्या व अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात एक नियतांक होता है, जिसे दूसरे माध्यम का पहले माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं।
SinI/SinR= n21= Constant