इस प्रसंग में हम चर्चा करेंगे ऊर्जा किसे कहते हैं। ऊर्जा हमारे जीवन के लिए क्यो जरूरी है। ऊर्जा के बिना जीवन असंभव है। ऊर्जा की आवश्यकता दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। हमें ऊर्जा कहाँ से प्राप्त होती है? सूर्य हमारे लिए ऊर्जा का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत है। हमारे ऊर्जा के बहुत-से स्रोत सूर्य से व्युत्पन्न होते हैं। हम परमाणुओं के नाभिकों से, पृथ्वी के आंतरिक भागों से तथा ज्वार-भाटों से भी ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं। ऊर्जा के प्रकार निम्न निम्नलिखित है
ऊर्जा किसे कहते हैं
वस्तु के कार्य करने की क्षमता ही ऊर्जा कहलाती है। कार्य करने के लिए ऊर्जा आवश्यक होती है।
ऊर्जा के प्रकार
ऊर्जा के प्रकारों का वर्णन निम्न प्रकार है
1. यांत्रिक ऊर्जा किसे कहते हैं
किसी निकाय अथवा वस्तु की गतिमान अवस्था अथवा स्थित विशेष के कारण उत्पन्न ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical energy) कहलाती है। यांत्रिक ऊर्जा दो प्रकार की ऊर्जाओं का योग होती है अर्थात गतिज एवं स्थितिज ऊर्जा।
A. गतिज ऊर्जा किसे कहते हैं
किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा (Kinetic energy) कहते हैं। किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा उसकी चाल के साथ बढ़ती है। यदि m द्रव्यमान की कोई वस्तु v गति से गतिशील हो, तो उसकी गतिज ऊर्जा = ½mv²
B. स्थितिज ऊर्जा किसे कहते हैं
किसी वस्तु द्वारा इसकी स्थिति अथवा विन्यास में परिवर्तन के कारण प्राप्त ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा (Potential energy) कहते हैं। यदि m द्रव्यमान की कोई वस्तु पृथ्वी से h ऊंचाई पर अवस्थित हो तथा गुरुत्वीय त्वरण g हो तो, उस वस्तु की स्थितिज ऊर्जा, u = mgh
स्थितिज ऊर्जा के प्रारूप
- गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा किसी वस्तु की पृथ्वी की सतह से ऊपर स्थिति के कारण कार्य करने की जो क्षमता होती है, उसे गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
- विद्युत स्थैतिक ऊर्जा दो विद्युत आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा को विद्युत स्थैतिक ऊर्जा कहते हैं।
- प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा किसी वस्तु की प्रत्यास्थता के कारण उसमें उपस्थित प्रत्यानयन में बल द्वारा किया गया कार्य ही वस्तु की प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा के बराबर होता है।
ऊष्मीय ऊर्जा किसे कहते हैं
किसी वस्तु में उसके अंगों की अनियमित गति के कारण उत्पन्न ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा (Heat Energy) कहलाती है। यह वस्तु की आंतरिक ऊर्जा से संबंधित होती है।
प्रकाश ऊर्जा किसे कहते हैं
प्रकाश ऊर्जा का वह रूप है, जिसकी सहायता से वस्तुओं को देखा जाता है। वह स्रोत, जो प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं, प्रतिदीप्त स्रोत कहलाते हैं तथा वह स्रोत जो प्रकाश का स्वयं उत्सर्जन नहीं करते हैं अदीप्त स्रोत कहलाते हैं। प्रकाश सदैव सरल रेखा में गमन करता है। वह पदार्थ जिनसे आर-पार देखा जा सकता है, पारदर्शी पदार्थ (Transparent) कहलाते हैं। वे पदार्थ जिनसे प्रकाश आंशिक रूप से गुजर सकता है आंशिक पारदर्शी या धुंधले कहलाते हैं। जिन पदार्थों से प्रकाश आर-पार नहीं गुर्जर पता है, अपारदर्शी कहलाते हैं।
ध्वनि ऊर्जा किसे कहते हैं
जो हम अपने कानो द्वारा सुनते हैं, ध्वनि कहलाती है। दैनिक जीवन में हम भिन्न-भिन्न प्रकार की ध्वनियां सुनते हैं। उदाहरण- सड़क पर वाहनों के हॉर्न की आवाज, किसी पार्क में पक्षियों के आवाज आदि। ध्वनि तभी उत्पन्न होती है जब ध्वनि स्रोत कंपन अवस्था में होता है तथा यह तरंगों के रूप में माध्यम के चारों ओर फैलती है।
विद्युत ऊर्जा किसे कहते हैं
किसी चालक में विद्युत आवेश प्रवाहित होने के कारण, जो ऊर्जा प्रवाह होती है, उसे विद्युत ऊर्जा कहते हैं। दैनिक जीवन में विद्युत ऊर्जा से अनेक क्रियाएं संपन्न करते हैं; जैसे बल्ब का जलना, मशीनों का चलना, लिफ्ट का चलना आदि।
रासायनिक ऊर्जा किसे कहते हैं
किसी रासायनिक पदार्थ में निहित ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा कहलाती है। यह पदार्थ में परमाणुओं की संरचना पर निर्भर करती है।
सौर ऊर्जा किसे कहते हैं
सूर्य से प्राप्त ऊर्जा सौर ऊर्जा कहलाती है। सूर्य के केंद्र पर नाभिकीय अभिक्रियाओं के कारण यह ऊर्जा उत्पन्न होती है। इस ऊर्जा का उपयोग, सौर ऊर्जा कुकर, सौर ऊर्जा हीटर आदि में होता है। यह ऊर्जा का सबसे सस्ता और प्रदूषण रहित स्रोत है। सौर ऊर्जा सेलो का उपयोग कैलकुलेटर कृत्रिम उपग्रह व अन्य उपकरणों में वर्तमान में किया जा रहा है।
नाभिकीय ऊर्जा किसे कहते हैं
किसी पदार्थ के परमाणु के नाभिक से जो ऊर्जा प्राप्त होती है, नाभिकीय ऊर्जा कहलाती है। नाभिकीय ऊर्जा का उत्सर्जन नाभिकीय विखंडन अथवा संलयन विधि से होता है। नाभिकीय संलयन में जब दो हल्के नाभिक संलयित होते हैं, तो द्रव्यमान क्षति होती है। यह क्षय हुआ द्रव्यमान आइंस्टीन की द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण के अनुसार (E = mc²) ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है। ऊर्जा का यह स्रोत भी प्रदूषण रहित है।
द्रव्यमान-ऊर्जा तुल्यता
आइंस्टीन के अनुसार, द्रव्यमान को ऊर्जा में बदला जा सकता है।
E = mc²
जहां m = द्रव्यमान के तुल्य ऊर्जा,
c = निर्वात में प्रकाश की चाल = 3×10*8 m/sec
ऊर्जा संरक्षण का नियम
इस नियम के अनुसार, ऊर्जा को ना तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही नष्ट, परंतु ऊर्जा को एक प्रारूप से दूसरे प्रारूप में बदला जा सकता है।
दूसरे शब्दों में ऊर्जा रूपातरंण की अवस्था में निकाय की कुल ऊर्जा अपरिवर्तित रहती है। यह ऊर्जा संरक्षण के नियमानुसार है। इस नियम के अनुसार, ऊर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित हो सकती है न तो इसकी उत्पत्ति की जा सकती है और न ही विनाश। रूपांतरण के पहले व रूपांतरण के पश्चात् कुल ऊर्जा सदैव अचर रहती है। ऊर्जा संरक्षण का नियम प्रत्येक स्थिति तथा सभी प्रकार के रूपांतरणों में मान्य है।
ऊर्जा का रूपांतरण
ऊर्जा के एक प्रारूप से दूसरे प्रारूप में बदलने को ऊर्जा का रूपांतरण कहते हैं।
उदाहरण
1. ऊष्मीय इंजन में, ऊष्मीय ऊर्जा में, यांत्रिक ऊर्जा में बदलती है।
2.सूर्य में द्रव्यमान, विकृत ऊर्जा में बदलता है।
3.कोयले के दहन में रासायनिक ऊर्जा उसमें ऊर्जा में बदलती है।
जेम्स प्रेसकॉट जूल
जेम्स प्रेसकॉट जूल एक प्रतिभाशाली ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी थे। वे अपने विद्युत् तथा ऊष्मागतिकी के अनुसंधानों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हुए। अन्य विचारों के अतिरिक्त उन्होंने विद्युत् के ऊष्मीय प्रभाव के बारे में नियम बनाया। उन्होंने ऊर्जा संरक्षण नियम को प्रयोगात्मक रूप से सत्यापित किया तथा ऊष्मा के यांत्रिक तुल्यांक के मान की खोज की। ऊर्जा तथा कार्य के मात्राक का नाम जूल, उन्हीं के सम्मान में रखा गया है।
ऊर्जा के स्रोत
दैनिक जीवन में कार्य करने के लिए हम ऊर्जा के विविध् स्रोतों का उपयोग करते हैं। रेलगाड़ियों को चलाने में हम डीजल उपयोग करते हैं। सड़कों के लैम्पों को दीप्तिमान बनाने में विद्युत का उपयोग करते है। साइकिल से विद्यालय जाने में पेशियों की ऊर्जा का उपयोग किया जाता हैं। शारीरिक कार्यों को करने के लिए पेशीय ऊर्जा, विविध् वैद्युत साधित्रों को चलाने के लिए विद्युत ऊर्जा, भोजन पकाने अथवा वाहनों को दौड़ाने के लिए रासायनिक ऊर्जा, ये सभी ऊर्जाएँ किसी न किसी ऊर्जा स्रोत से प्राप्त होती हैं। हमें यह जानना आवश्यक है कि ऊर्जा को उसके प्रयोज्य रूप में प्राप्त करने के लिए आवश्यक स्रोत का चयन किस प्रकार किया जाता है।