शब्द किसे कहते हैं- एक या एक से अधिक वर्णो से बने सार्थक ध्वनि समूह को शब्द कहते हैं। ध्वनि-समूहों को ऐसी रचना जिसका कोई अर्थ निकलता हो उसे शब्द कहते हैं। शब्द के भेद-हिंदी भाषा जहाँ अपनी जननी संस्कृत भाषा के समृद्ध शब्द भण्डार से प्राप्त पंरपरागत विकास के मार्ग पर बढ़ी, वहीं इसने अनेक भाषाओं के संपर्क से प्राप्त शब्दों से भी अपने शब्द-भण्डार में वृद्धि की है। साथ ही नये भावों, विचारों, व्यापारों को अभिव्यक्ति के लिए आवश्यकतानुसार नये शब्दों की रचना भी पूरी उदारता एवं तत्परता से की गई हैं इस प्रकार हिंदी की शब्द-संपदा न केवल विपुल है बल्कि विविधतापूर्ण भी हो गई है।
शब्द की परिभाषा
प्रत्येक भाषा की अपनी ध्वनि-व्यवस्था, शब्द रचना एवं वाक्य का निश्चित संरचनात्मक ढाँचा तथा एक सुनिश्चित अर्थ प्रणाली होती है। भाषा की सबसे छोटी और सार्थक इकाई ‘शब्द’ है। वर्णो का व्यवस्थित व अर्थवान समुह शब्द कहलाता है। शब्द और पद में अंतर-जब शब्द स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होता है तो वह शब्द कहलाता है परन्तु जब शब्द वाक्य के अंतर्गत प्रयुक्त होता है, तो वह पद कहलाता हैं ।
शब्द की विशेषता
शब्दों का अस्तित्व स्वंतत्र होता है। वर्णो के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं, शब्द का एक निश्चित अर्थ होता है। सार्थकता की दृष्टि से किसी वाक्य में शब्द ही भाषा की लघुत्तम ईकाई मानी जाती है। शब्द ही किसी अर्थ को मूलरूप प्रदान करते है। शब्द भाषा का वैभव है, सम्पदा है। शब्द में प्रयुक्त वर्णो की सही क्रमिकता वर्तनी कहलाती हैं शब्द के खण्ड को शब्दांश कहा जाता हैं
शब्द के भेद
शब्द की उत्पत्ति, रचना, प्रयोग एवं अर्थ के आधार पर शब्द के भेद किए गए हैं। जिनका विस्तृत विवरण इस प्रकार है। शब्द के मुख्य 4 भेद माने गए है। जबकि शब्दों का वर्गीकरण 5 भेद से भी किया जा सकता है।
- रचना या बनावट के आधार पर शब्द
- प्रयोग, रूप, रूपान्तरण , व्याकरण के आधार पर शब्द
- अर्थ के आधार पर शब्द।
- उत्पत्ति उद्गम स्त्रोत के आधार पर शब्द।
- वाक्य में प्रयोग के आधार पर शब्द।
A. रचना या बनावट के आधार पर शब्द के भेद
रचना या बनावट के आधार पर शब्द के 3 भेद के होते है।
1. रूढ़ शब्द किसे कहते हैं
ऐसे शब्द जिन्हें किसी शब्द से मिलकर नहीं बनाया जाता अर्थात् उनकी स्वतंत्र उत्पत्ति होती है, रूढ़ शब्द कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में वे शब्द जिनके टूकड़े करने पर उनके दूसरे शब्दांश का कोई अर्थ न निकले रूढ़ शब्द कहलाते है। जैसे-जल, बैग, गाड़ी, आदि।
2. यौगिक शब्द किसे कहते हैं
ऐसे शब्द जो दो या दो से अधिक मूल शब्द या शब्दांश के मेल से बने होते है तथा जिनका विच्छेद करने पर अलग-अलग अर्थ निकलता है यौगिक शब्द कहलाते है।
3. योगरूढ़ शब्द किसे कहते हैं
वे यौगिक शब्द जो एक अर्थ विशेष में रूढ़ हो जाते है। योगरूढ़ शब्द कहलाते है। बहुव्रीहि समास के उदाहरण योगरूढ़ शब्द होते है।
- पंक+ज = पंकज (कमल)
- लम्बा+उदर = लम्बोदर (गणेश जी)
- हिम+आलय = हिमालय (हिमालय पर्वत)
B. प्रयोग, रूप, रूपांतरण, व्याकरण के आधार पर शब्द के भेद
प्रयोग, रूप, रूपांतरण, व्याकरण के आधार पर शब्द के 2 भेद होते है। विकारी शब्द, अविकारी शब्द।
1. विकारी शब्द किसे कहते हैं
वे शब्द जो लिंग, वचन, कारक, काल आदि के आधार पर परिवर्तित हो जाते है, विकारी शब्द कहलाते है। विकारी शब्द के 4 भेद होते है। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया।
2. अविकारी शब्द किसे कहते हैं
कुछ शब्द ऐसे होते है जिनका प्रयोग सदैव मूल रूप में होता है। और लिंग, वचन, कारक, काल इत्यादि के आधार पर इनमें कोई परिवर्तन नहीं होता। अविकारी शब्द कहलाते है। अविकारी शब्द के 4 भेद होते है। क्रिया विशेषण, संबंध बोधक, समुच्चयबोधक, विस्मयादि बोधक।
C. अर्थ के आधार पर शब्द के भेद
अर्थ के आधार पर शब्द निम्न प्रकार के होते है।
1. एकार्थी शब्द किसे कहते हैं
वे शब्द जिनका अर्थ सभी परिस्थितियों में एक समान रहता है एकार्थी शब्द कहलाते है। जैसे-स्वागत, हर्ष, पाप, कृषि, अपराथ।
2. अनेकार्थी शब्द किसे कहते हैं
वे शब्द जो प्रयोग के अनुसार विभिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न अर्थ देते हैं अनेकार्थी शब्द कहलाते है। जैसे-
- सारंग- सांप, औरत, दीपक, हाथी, मोर
- सर- चिता, चोही, बाण
- श्यामा- कोयल, यमुना, रात, सुन्दर स्त्री
3. समानार्थी शब्द किसे कहते हैं
जिन शब्दों के अर्थो में समानता होती है और वे एक-दूसरे के पर्यायवाची होते है समानार्थी होते है।
- कौवा- काक, काग, वायस, पिशुन, करठ, चुगलखोर, बलिभुक
- कामदेव- मनोज, अनंग, मीनकेतु, स्मर, रतिपति, मंनसिज, पंचसर
4. विपरीतार्थी शब्द किसे कहते हैं
एक दूसरे का विपरित अर्थ देने वाले शब्द विपरीतार्थी शब्द कहलाते हैं।
- रात-दिन
- काला-गौरा
- पर्णकुहि-प्रासाद
5. युग्म शब्द किसे कहते हैं
ऐसे शब्द जिनका उच्चारण समान-सा प्रतीत होता है किंतु अर्थ पूर्णतया भिन्न होता है उन्हें समानार्थी प्रतीत होने वाले भिन्नार्थक शब्द अथवा ‘युग्म-शब्द’ कहते है। जैसे-आदि-आदी। ‘आदि’ का अर्थ प्रारंभ है कितुं ‘आदी’ का अर्थ है आदत होना अथवा लत होना। इस प्रकार उच्चारण समान सा प्रतीत होते हुए भी अर्थ भिन्न हैं।
6. शब्द समूह के लिए एक शब्द किसे कहते हैं
जब किसी वाक्य, वाक्यांश या समूह का तात्पर्य एक शब्द द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है अथवा ‘एक शब्द’ में उस वाक्यांश का अर्थ निहित हो, उसे ‘शब्द समूह’ के लिए ‘एक शब्द’ कहते हैं, जैसे-जहाँ जाना संभव न हो-अगम्य। जो अपनी बात से टले नहीं-अटल।
7. समानार्थक प्रतीत होन वाले भिन्नार्थक शब्द किसे कहते हैं
ऐसे शब्द जो प्रथम दृष्टया रचना की दृष्टि से समान प्रतीत होते हैं एवं अर्थ की दृष्टि से भी बहुत समीप होते हैं। किंतु उनके अर्थ में बहुत सूक्ष्म अंतर होता है तथा अलग संदर्भ में ही जिनका प्रयोग सम्भव है, जैसे-
- अस्त्र- फेक कर वार किए जानेवाले हथियार, जैसे-तीर, भाला आदि।
- शस्त्र- जिन हथियारों का प्रयोग हाथ में रखकर किया जाता है, जैसे-तलवार, लाठी, चाकू आदि।
8. समूहवाची शब्द किसे कहते हैं
ऐसे शब्द जो एक समूह का प्रतिनिधित्व करते है अथवा सामूहिक वस्तुओं का अर्थ प्रकट करते हैं उन्हें समूहवाची शब्द कहते हैं।
- गट्ठर- लकड़ी या पुस्तकों का समूह।
- गुच्छा- चाबियों या अंगूर का समूह।
- गिरोह- माफिया या चोर, डाकुओं का समूह।
- रेवड़- भेड़, बकरी या पशुओं का समूह।
9. न्यार्थक शब्द किसे कहते हैं
ऐसे शब्द जिनका अर्थ ध्वनि पर आधारित हो, उन्हें ध्वन्यार्थक शब्द कहते हैं। जैसे-दहाड़ना, भौकना, हिनहिनाना, रंभाना, टर्राना।
D. उत्पत्ति, उद्गम, स्त्रोत के आधार पर शब्द के भेद
इस आधार पर शब्द के 5 भेद होते है। तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशज, संकर शब्द।
1. तत्सम शब्द किसे कहते हैं
संस्कृत के वे शब्द जो हिंदी में ज्यों के त्यों प्रयोग किए जाते है वे तत्सम शब्द कहलाते है। जैसे-रात्रि, नमन, सूर्य।
2. तद्भव शब्द किसे कहते हैं
वे शब्द जो संस्कृत के शब्दों में परिवर्तन करके बनाए जाते है तद्भव शब्द कहलाते है। जैसे-रात, आँख, सूरज आदि।
3. देशज शब्द किसे कहते हैं
वे शब्द जो जन साधारण की भाषा में विकसित तथा प्रचलित होते है तथा जिनके स्त्रोत का पता न चले वे शब्द देशज शब्द कहलाते है। जैसे- टांग, अटकल, कुल्हण, खांसी, खाट, खादी, खिचड़ी, खिड़की, घूँट, घाघरा, चिमटा, घोटाला, घोसला, चिड़िया, चुटकी, चूहा, ठेस, बेटा, बैंगन, रूई, लड़का, लोटा।
देशज शब्दों के भेद इस प्रकार है
I. अपनी गढ़ंत से बने शब्द
अपने अंतर्मन में उमड़ रही भावनाओं यथ-खुशी, गम अथवा क्रोध की अभिव्यक्ति करने के लिए व्यक्ति अति भावावेश में कुछ मनगंढ़त ध्वनियों का उच्चारण करने लगता है और यही ध्वनियाँ जब बार-बार प्रयोग में आती हें तो एक बड़ा जन समुदाय-उनका प्रयोग करने लगता हे और धीरे-धीरे उनका प्रयोग साहित्य में भी होने लगता है, जैसे-उधम, अंगोछा, खुरपा, ढोर, लपलपाना, बुद्धू, लोटा, परात, चुटकी, चाट, ठठेरा, खटपट आदि।
II. द्रविड़ भाषा से आए देशज शब्द
अनल, कटी, चिकना, ताला, लूंगी, इडली, डोसा आदि।
III. कोल, संथाल आदि से आए शब्द
कपास, कोड़ी, पान , परवल, बाजरा, सरसों आदि।
4. विदेशज शब्द किसे कहते हैं
वे शब्द जो दूसरी भाषा के प्रभाव से हमारी भाषा के लिए गए उन्हें विदेशज शब्द कहते है। राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कारणों से किसी भाषा में अन्य देशों की भाषाओं के भी शब्द आ जाते हैं, उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं। हिंदी में अंग्रेजी, फारसी, पुर्तगाली, तुर्की, फ्रांसीसी, चीनी, डच, जर्मनी, तिब्बती, यूनानी भाषा के शबद प्रयुक्त होते हैं।
I. अंग्रेजी भाषा के शब्द- अफसर, एजेण्ट, क्लास, क्लर्क, नर्स, कार, कॉपी, कोट, गार्ड, चैक, टेलर, टीचर, टैक्सी, पैन, पेपर, बस, रेडियो, रजिस्टर, रेल, रेडी मेड, शर्ट, सूट, स्वेटर, टिकट, आदि।
II. अरबी भाषा के शब्द- अक्ल, अदालत, आजाद, इंतजार, इनाम, इलाज, इस्तीफा, कमाल, कब्जा, कानून, कुर्सी, किताब, किस्मत, कबीला, कीमत, जनाब, जलसा, जिला, तहसील, नशा, तारीख, ताकत, तमाशा, दुनिया, दौलत, नतीजा, फकीर, फैसला, बहस, मदद, मतलब, लिफाफा, हलवाई, हुक्म, हिम्मत आदि।
III. फारसी के शब्द- अखबार, अमरूद, आराम, आवारा, आसमान, आतिशबाजी, आमदनी, कमर, कारीगर, कुश्ती, खजाना, खर्च, खून, गुलाब, गुब्बारा, जानवर, जेब, जगह, जमीन, दवा, जलेबी, जुकाम, तनख्वाह, तबाह, दर्जी, दीवार, नमक, बीमार, नेक, मजदूर, लगाम, शेर, सुखा, सौदागर, सुल्तान, सुल्फा आदि।
IV. पुर्तगाली भाषा के शब्द- अचार, अगस्त, आलपिन, आलू, आया, अनन्नास, इस्पात, कनस्तर, कारबन, कमीज, कमरा, गोभी, गोदाम, गमला, चाबी, पीपा, पादरी, फीता, बस्ता, बटन, बाल्टी, पपीता, पतलून, मेज, लबादा, संतरा, साबुन आदि।
V. तुर्की भाषा के शब्द- आका, उर्दू, काबू, कैंची, कुली, कलंगी, कालीन, चाक, चिक, चेचक, चुगली, चोगा, चम्मच, तमगा, तमाशा, तोप, बारूद, बावर्ची, बीबी, बेगम, बहादुर, मुगल, लाश, सराय आदि।
VI. फ्रेन्च भाषा के शब्द (फ्रांसीसी से)– अंग्रेज, काजू, कारतूस, कूपन, टेबुल, मेयर, मार्शल, मीनू, रेस्र्टा, सूप आदि।
VII. चीनी भाषा के शब्द– चाय, लीची, लोकाट, तूफान आदि।
VIII. डच भाषा के शब्द– तुरूप, चिड़िया, डिल आदि
IX. जर्मनी भाषा के शब्द- नात्सी, नाजीबाद, किंटरगार्टन आदि।
X. तिब्बती भाषा के शब्द– लामा, डांडी आदि।
XI. रूसी भाषा के शब्द– जार, सोवियत, रूबल, स्पूतनिक, बुजुर्ग, लूना आदि।
XII. यूनानी भाषा के शब्द– एकेडमी, एटम, एटलस, टेलिफोन, बाइबिल आदि।
5. संकर शब्द किसे कहते हैं
हिंदी में वे शब्द जो दो अलग-अलग भाषाओं के शब्दों को मिलाकर बना लिए गए हैं, संकर शब्द कहलाते हैं, जैसे-
- वर्षगाँठ = वर्ष+गाँठ
- उद्योगपति = उद्योग+पति
- रेलयात्री = रेल+यात्री
- टिकिटघर = टिकिट+घर
- नेकनीयत = नेक+नियत
- जांचकर्ता = जांच+कर्ता
- बेढंगा = बे+ढंगा
- बेआब = बे+आब