क्रिया किसे कहते हैं क्रिया के भेद 10 उदाहरण सहित लिखिए

जिस शब्द से किसी कार्य के करने या होने का बोध होता है उसे क्रिया कहते है। क्रिया का अर्थ है करना। क्रिया के बिना कोई वाक्य पूर्ण नहीं होता। किसी बात में कर्ता, कर्म तथा काल की जानकारी भी क्रिया के माध्यम से ही होती है। हिंदी भाषा की जननी संस्कृत है तथा संस्कृत में क्रिया रूप को धातु कहते है। हिंदी क्रिया पदों का मूल रूप ही धातु है। धातु मे ‘ना’ जोडने से हिंदी के क्रिया पद बनते हैं, जैसे- पढ़+ना=पढ़ना, उठ+ना=उठना आदि।

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क्रिया की परिभाषा

जिस शब्द से किसी कार्य के करने या होने का बोध होता है, उसे क्रिया कहते है। क्रिया के भेद निम्नलिखित है

कर्म के आधार पर क्रिया के भेद

क्रिया शब्द का फल किस पर पड़ रहा है, वह किसे प्रभावित कर रहा है, इस आधार पर किया जाने वाला भेद कर्म के आधार क्रिया के भेद के अंतर्गत आता है। इस आधार पर क्रिया के प्रमुख दो भेद है

सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं

जिस क्रिया का फल कर्ता को छोड़कर कर्म पर पडे़, वह सकर्मक क्रिया कहलाती है। स अर्थात् सहित, अतः सकर्मक का अर्थ है कर्म के साथ। जैसे-बच्चा चित्र बना रहा है या गीता सितार बजा रही है।

अब यदि प्रश्न किया जाए कि बच्च क्या बना रहा है तो उत्तर होगा-चित्र (कर्म) तथा गीता क्या बजा रही है तो उत्तर होगा- ‘सितार’(कर्म)।

सकर्मक क्रिया के दो भेद है

एक कर्मक क्रिया किसे कहते हैं

जिस वाक्य में क्रिया के साथ एक कर्म प्रयुक्त हो, उसे एक कर्मक क्रिया कहते हैं, जैसे- मॉ पढ़ रही है। यहा मॉ के द्वारा एक ही कर्म (पढ़ना) हो रहा है।

द्विकर्मक क्रिया किसे कहते हैं

जिस वाक्य में क्रिया के साथ दो कर्म प्रयुक्त हों, उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे अध्यापक छात्रों को कंप्युटर सिखा रहे हैं। किया सिखा रहे हैं? कंप्यूटर। किसे सिखा रहे हैं? छात्रों को (छात्र सीख रहे हैं।) इस प्रकार दो कर्म एक साथ घटित हो रहे हैं।

अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं

जिस वाक्य में क्रिया का प्रभाव या फल केवल कर्ता पर ही पड़ता है कर्म की वहॉ संभावना ही नहीं रहती। उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं, जैसे आशा सोती हैं।

सकर्मक और अकर्मक क्रिया के 10 उदाहरण

मेरा पुत्र पुस्तक पढ़ रहा है। (सकर्मक क्रिया)

मेरा पुत्र भी इसी विद्यालय में पढ़ता है। (अकर्मक क्रिया)

वह बैडमिंटन खेलता है। (सकर्मक क्रिया)

वह प्रतिदिन एक घंटे खेलता है। (अकर्मक क्रिया)

राधा मशीन चलाती है। (सकर्मक क्रिया)

मशीन चलती है। (अकर्मक क्रिया)

वह पतंग उड़ा रहा है। (सकर्मक क्रिया)

पतंग उड़ रही है। (अकर्मक क्रिया)

बूंदे गिर रही हैं (अकर्मक क्रिया)

वह गाड़ी चला रहा है। (सकर्मक क्रिया)

संरचना के आधार पर क्रिया के भेद

वाक्य में क्रिया का प्रयोग कहॉ किया जा रहा है, किस रूप में किया जा रहा है, के आधार पर किए जाने वाले भेद संरचना के आधार पर कहलाते है।  इसके पॉच प्रकार हैं।

संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं

जब दो या दो से अधिक भिन्न अर्थ रखनेवाली क्रियाओं का मेल हो, उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं, जैसे-अतिथि आने पर स्वागत करो। इस वाक्य में आने मुख्य क्रिया है तथा स्वागत करो सहायक क्रिया है। इस प्रकार मुख्य एवं सहायक क्रिया दोनों का संयोग है। अतः इसे संयुक्त क्रिया कहते है। मुख्य क्रिया के साथ सहायक क्रियाए एक से अधिक भी हो सकती है।

नामधातु क्रिया किसे कहते हैं

संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण शब्द जब क्रिया धातु की तरह प्रयुक्त होते हैं, उन्हें नामधातु क्रिया कहते हैं और इन नामधातु शब्दों में जब प्रत्यय लगाकर क्रिया का निर्माण क्रिया जाता है तब वे शब्द नाम धातु क्रिया कहलाते हैं,

जैसे- हाथ (संज्ञा) हथिया (नामधातु) -हथियाना (क्रिया),

जैसे- नरेश ने सुरेश का कमरा हथिया लिया। अपना (सर्वनाम)- अपना (नामधातु)- अपनाना (क्रिया)

जैसे-विनीत सुनीता के विवाह की जिम्मेदारी को अपना चुका है।

प्रेरणार्थक क्रिया किसे कहते हैं

जब कर्ता स्वयं कार्य का संपादन न कर किसी दूसरे को करने के लिए प्रेरित करे या करवाए उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं, जैसे- सरपंच ने गॉव में तालाब बनवाया। इसमें सरपंच ने स्वयं कार्य नहीं क्रिया, बल्कि अन्य लोगों को प्रेरित कर उनसे तालाब का निर्माण करवाया, अतः यहॉ प्रेरणार्थक क्रिया है।

पूर्वकलिक क्रिया किसे कहते हैं

जब क्रिया वाक्य में दो क्रियाए प्रयुक्त हुई हों तथा उनमें से एक क्रिया दूसरी क्रिया से पहले संपन्न हुई हो तो पहले संपन्न होनेवाली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है। इन क्रियाओं पर लिंग वचन, पुरूष, काल आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ये अव्यय तथा क्रिया विषेषण के रूप में भी प्रयुक्त होती हैं।

मूल धातु मे ‘कर’ लगाने से सामान्य क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया का रूप दिया जा सकता है, जैसे-बलवीर खेलकर पढ़ने बैठेगा। वह पढ़कर सो गया । इन वाक्यों में खेलकर (‘खेल’ मूल धातु+ कर) एवं पढ़कर (‘पढ़’ मूल धातु + कर ) पूर्वकालिक क्रिया कहलाएगी । पूर्वकालिक क्रिया का एक रूप तात्कालिक क्रिया भी है । इसमें एक क्रिया के समाप्त होते ही तत्काल दूसरी क्रिया घटित होती है तथा धातु + ते से इस क्रिया पद का निर्माण होता है, जैसे- पुलिस के आते ही चोर भाग गया । इसमें आते ही तात्कालिक क्रिया है ।

कृदन्त क्रिया किसे कहते हैं

क्रिया शब्दों में जुड़नेवाले प्रत्यय कृत प्रत्यय कहलाते हैं तथा कृत प्रत्ययों के योग से बने शब्द कृदन्त कहलाते है। क्रिया शब्दों के अंत में प्रत्यय योग से बनी क्रिया कृदन्त क्रिया कहलाती है, जैसे

क्रिया                कृदन्त क्रिया

चल                  चलना, चलता चलकर

लिख                 लिखना, लिखता, लिखकर ।

काल के आधार पर क्रिया के भेद

जिस काल में क्रिया संपन्न होती है उसके अनुसार क्रिया के तीन भेद है

भूतकालिक क्रिया किसे कहते हैं

क्रिया का वह रूप जिसके द्वारा बीते समय में कार्य के संपन्न होने का बोध होता है, भूतकालिक क्रिया कहलाती है, जैसे- वह विदेश चला गया। उसने बहुत मधुर गीत गाया।

वर्तमानकालिक क्रिया किसे कहते हैं

क्रिया का वह रूप जिससे वर्तमान समय में कार्य के संपन्न होने का बोध होता है, वर्तमानकालिक क्रिया कहलाती है, जैसे- गीता हॉकी खेल रही है। विमल पुस्तक पढ़ रहा है।

भविष्यत् कालिक क्रिया किसे कहते हैं

क्रिया का वह रूप जिसके द्वारा आने वाले समय में कार्य के संपन्न होने का बोध होता है, भविष्यत् कालिक क्रिया कहते हैं जैसे- गार्गाी छुट्टियों में कश्मीर जाएगी। दिनेष निबंध प्रतियोगिता से भाग लेगा।

क्रियापद

भाषा की एक महत्वपूर्ण इकाई है क्रियापद। भाषा के कालिक और वाच्य रूप के निर्धारण में क्रियारूपो का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण योगदान है। भाषा में निहित गतिशीलता का आधार क्रिया रूप ही होते हैं। क्रिया रूपों के अभाव में भी वाक्य निर्मित होते हैं लेकिन ऐसे वाक्य एक स्थैतिक संरचना होते हैं, जैसे एक निस्पंद व्यक्ति।

जड़ होने के बावजूद समस्त प्राकृतिक उपादान नित्यता अथवा गतिशीलता के कारण ही इतने महत्वपूर्ण हैं। फिर, मानव तो चैतन्य है। मानवीय व्यवहार की गतिशीलता का प्रकट रूप भाषा है और प्रत्येक भाषा की गतिशीलता में क्रिया रूपों की महत्ता स्वयंसिद्ध हैं। हिन्दी के क्रिया रूप अपेक्षाकृत जटिल होते हुए भी अत्यंत रोचक हैं । क्रिया रूपों के सही प्रयोग से भाषा में प्रभावी संप्रेषणीयता और  लालित्य उत्पन्न होता है।

मुख्य क्रियापद शब्द

स्थैतिक, संप्रेषणीयता, प्रयुक्ति, विकारी, धातु, अकर्मक, सकर्मक, कारक, व्युत्पन्न क्रिया, प्रेरणार्थक क्रिया, समस्त क्रिया, क्रियात्मक संज्ञा, समापिका व असमापिका क्रिया, पूर्वकालिक व तात्कालिक क्रिया, वाच्य, कर्मवाच्य, भाववाच्य, काल, वृत्ति, पक्ष, अन्वय।

क्रिया किसे कहते हैं FAQ

सकर्मक क्रिया किसे कहते हैं

जिस क्रिया का फल कर्ता को छोड़कर कर्म पर पडे़, वह सकर्मक क्रिया कहलाती है। जैसे-बच्चा चित्र बना रहा है या गीता सितार बजा रही है।

अकर्मक क्रिया किसे कहते हैं

जिस वाक्य में क्रिया का प्रभाव या फल केवल कर्ता पर ही पड़ता है कर्म की वहॉ संभावना ही नहीं रहती। उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं, जैसे- आशा सोती हैं।

कर्म के आधार पर क्रिया के कितने भेद होते हैं?

कर्म के आधार पर क्रिया 2 कितने भेद होते हैं 1. सकर्मक क्रिया 2.

अकर्मक क्रियाक्रिया परिभाषा और उदाहरण क्या है?

जिस शब्द से किसी कार्य के करने या होने का बोध होता है, उसे क्रिया कहते है। क्रिया का अर्थ है करना। क्रिया के बिना कोई वाक्य पूर्ण नहीं होता। जैसे-बच्चा चित्र बना रहा है या गीता सितार बजा रही है।

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