प्रकाश संश्लेषण क्या है, समीकरण सहित समझाइए

सभी प्राणी, यहाँ तक कि मानव भी आहार के लिए पौधें पर निर्भर हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि पौधे अपना आहार कहाँ से प्राप्त करते हैं? वास्तव में, हरे पौधे अपना आहार संश्लेषित करते हैं तथा अन्य सभी जीव अपनी आवश्यकता के लिए उन पर निर्भर रहते हैं। हरे पौधे प्रकाश संश्लेषण करते हैं यह एक ऐसी भौतिक रासायनिक प्रक्रिया है, जिसमें कार्बनिक यौगिकों को संश्लेषित करने के लिए प्रकाश ऊर्जा का उपयोग करते हैं।

अंतः कुल मिलाकर पृथ्वी पर रहने वाले सारे जीव ऊर्जा के लिए सूर्य के प्रकाश पर निर्भर करते हैं। पौधें द्वारा प्रकाश संश्लेषण में उपयोग की गई सूर्य ऊर्जा पृथ्वी पर जीवन का आधर है। प्रकाश संश्लेषण के महत्वपूर्ण होने के दो कारण हैंः यह पृथ्वी पर समस्त खाद्य पदार्थों का प्राथमिक स्रोत है तथा यह वायुमंडल में ऑक्सीजन छोड़ता है।

प्रकाश संश्लेषण

क्लोरोफिल सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा का संग्रहण करने में पत्ती की सहायता करता है। इस ऊर्जा का उपयोग जल एवं कार्बन डाइऑक्साइड से खाद्य संश्लेषण में होता है, क्योंकि पादपों में खाद्य संश्लेषण सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होता है। इसलिए इसे प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।

प्रकाश संश्लेषण की क्रिया

पत्तियाँ पादप की खाद्य फैक्ट्रियाँ हैं। पादपों में खाद्य पदार्थों का संश्लेषण उनकी पत्तियों में होता है। अतः सभी कच्चे पदार्थ उन तक पहुँचने चाहिए। मृदा में उपस्थित जल एवं खनिज जड़ द्वारा अवशोषित किए जाते हैं तथा तने के माध्यम से पत्तियों तक पहुँचाए जाते हैं। पत्ती की सतह पर उपस्थित सूक्ष्म रंध्रों द्वारा वायु में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड प्रवेश करती है। यह रंध्र द्वार कोशिकाओं द्वारा घिरे होते हैं। ऐसे छिद्रों को रंध्र कहते हैं। जल एवं खनिज, वाहिकाओं द्वारा पत्तियों तक पहुँचाए जाते हैं। ये वाहिकाएँ नली के समान होती हैं तथा जड़, तना, शाखाओं एवं पत्तियों तक फैली होती हैं।

पोषकों को पत्तियों तक पहुँचाने के लिए ये वाहिकाएँ एक सतत् मार्ग बनाती हैं। पत्तियों में एक हरा वर्णक होता है, जिसे क्लोरोफिल कहते हैं। क्लोरोफिल सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा का संग्रहण करने में पत्ती की सहायता करता है। इस ऊर्जा का उपयोग जल एवं कार्बन डाइऑक्साइड से खाद्य संश्लेषण में होता है, क्योंकि खाद्य संश्लेषण सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होता है। इसलिए इसे प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।

अतः क्लोरोफिल, सूर्य का प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल, प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक हैं। इस पृथ्वी पर यह एक अद्वितीय प्रक्रम है। पत्तियों द्वारा सौर ऊर्जा संग्रहित की जाती है तथा पादप में खाद्य के रूप में संचित हो जाती है। अतः सभी जीवों के लिए सूर्य ऊर्जा का चरम स्रोत है। प्रकाश संश्लेषण न होने की स्थिति में पादपों का अस्तित्व नहीं होगा। सभी जीवों का अस्तित्व प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से पादपों द्वारा निर्मित भोजन पर निर्भर करता है। इसके अतिरिक्त सभी जीवों के लिए परमावश्यक ऑक्सीजन भी प्रकाश संश्लेषण के दौरान निर्मित होती है। प्रकाश संश्लेषण की अनुपस्थिति में, पृथ्वी पर जीवन की कल्पना असंभव है।

प्रकाश संश्लेषण के दौरान पत्ती की क्लोरोफिलयुक्त कोशिकाएँ सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में, कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल से कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण करती हैं इस प्रक्रम में ऑक्सीजन निर्मुक्त होती है। कार्बोहाइड्रेट अंततः मंड में परिवर्तित हो जाते हैं। पत्ती में स्टार्च की उपस्थिति प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम का संपन्न होना दर्शाता है। स्टार्च भी एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है।

पत्तियों के अतिरिक्त, पादपों के दूसरे हरे भागों जैसे कि हरे तने एवं हरी शाखाओं में भी प्रकाश संश्लेषण होता है। मरुस्थलीय पादपों में वाष्पोत्सर्जन द्वारा जल क्षय को कम करने के लिए पत्तियाँ शल्क अथवा शूल रूपी हो जाती हैं। इन पादपों के तने हरे होते हैं, जो प्रकाश संश्लेषण का कार्य करते हैं।

हरी पत्तियों के अतिरिक्त अन्य रंग की पत्तियों में भी क्लोरोफिल होता है। परंतु इन पत्तियों में उपस्थित लाल, भूरे अथवा अन्य रंग क्लोरोफिल के हरे रंग का प्रच्छादन कर देते हैं अर्थात् ढक लेते हैं। इन पत्तियों में भी प्रकाश संश्लेषण होता है।

आपने गीली दीवारों पर, तालाब अथवा ठहरे हुए जलाशय में हरे अवपंकी देखे होंगे। ये सामान्यतः रंग जीवों की वृद्धि के कारण बनते हैं, जिन्हें शैवाल कहते हैं।

प्रकाश संश्लेषण का रासायनिक समीकरण

एक सूक्ष्मजीव विज्ञानी कोर्नेलियस वैन नील (1897-1985) के प्रयोग ने प्रकाश संश्लेषण को समझने में मील के पत्थर का काम किया। उसका अध्ययन बैंगनी (पर्पल) एवं हरे बैक्टीरिया पर आधरित था। उन्होंने बताया कि प्रकाश संश्लेषण एक प्रकाश आधरित प्रतिक्रिया है जिसमें ऑक्सीकरणीय यौगिक से प्राप्त हाइड्रोजन कार्बनडाइऑक्साइड को अपचयित करके कार्बोहाइड्रेट बनाते हैं। इसे निम्नलिखित रूप से व्यक्त किया जा सकता हैः

प्रकाश संश्लेषण का रासायनिक समीकरण

प्रकाश संश्लेषण कहाँ संपन्न होता है

हरी पत्तियों में अथवा आप कह सकते हैं क्लोरोप्लास्ट में, निश्चित ही आपका उत्तर सही है। प्रकाश संश्लेषण क्रिया हरी पत्तियों में तो संपादित होती ही है लेकिन यह पौधें के अन्य सभी हरे भागों में भी होती है। क्या आप पौधे के कुछ अन्य भागों के नाम बता सकते हैं, जहाँ प्रकाश संश्लेषण संपादित हो सकता है? पत्तियों में मेसोपिफल कोशिकाएं होती हैं। जिनमें अत्यधिक मात्रा में क्लोरोप्लास्ट होते हैं। सामान्यतः क्लोरोप्लास्ट मेसोपिफल कोशिकाओं की भित्ति के साथ पंक्तिबद्ध होता है जिससे कि वे ईष्टतम मात्रा में आपतित प्रकाश प्राप्त कर सके।

हरित लवक की कट

क्लोरोप्लास्ट में एक झिल्ली तंत्र होता है जिसमें ग्रैना, स्ट्रोमा लैमेले और स्ट्रोमा तरल होता है। क्लोरोप्लास्ट में सुस्पष्ट श्रम विभाजन होता है। झिल्ली तंत्र प्रकाश-ऊर्जा को ग्रहण करता है और एटीपी एवं एनएडीपीएच का संश्लेषण करता है। स्ट्रोमा में एंजाइमैटिक प्रतिक्रिया होती है जो सर्करा का संश्लेषण करता है जो बाद में स्टार्च में परिवर्तित हो जाता है। पहली वाली प्रतिक्रिया को प्रकाश अभिक्रिया कहा जाता है, चूँकि यह पूर्णतः प्रकाश पर आधरित है। दूसरी प्रतिक्रिया प्रकाश अभिक्रिया के उत्पाद पर निर्भर होती है अर्थात् एटीपी तथा एनएडीपीएच, जो सैद्धान्तिक रूप में अंधेरे में संपन्न होती हैं अतः इसे अप्रकाशी अभिक्रिया कहते हैं।

प्रकाश संश्लेषण वर्णक

जब आप किसी पौधे को देख रहे होते हैं तो क्या कभी आश्चर्य हुआ है कि उसी पौधे में पत्तियों के हरे रंग में सूक्ष्म अंतर क्यों और कैसे है? हम इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए किसी भी हरे पादप के पर्णवर्णकों को पेपर क्रोमेटोग्राफी (कागज वर्णलेखिकी) द्वारा अलग कर सकते हैं। क्रोमेटोग्राफी से पता लगता है कि पत्तियों में स्थित वर्णक के कारण जो हरापन दिखाई देता है, वह किसी एक वर्णक के कारण नहीं, बल्कि चार वर्णकोंः क्लोरोफिल ए (क्रोमेटोग्राफी में चमकीला अथवा नीला हरा), क्लोरोफिल बी (पीला हरा), जैन्थोपिफल (पीला) तथा कारटीनोएड (पीले से नारंगी पीले) के कारण होता है।

कार्बोहाइड्रेट के अतिरिक्त अन्य खाद्यों का प्रकाश संश्लेषण

प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम द्वारा पौधे कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण करते हैं। ‘कार्बोहाइड्रेट’ कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन से बनते हैं। इनका उपयोग खाद्य के अन्य घटकों के संश्लेषण में होता है। परन्तु प्रोटीन नाइट्रोजनी पदार्थ हैं, जिनमें कार्बन, ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन के अतिरिक्त नाइट्रोजन भी होती है। पादपों को नाइट्रोजन कहाँ से प्राप्त होती है?

वायु में नाइट्रोजन गैसीय अवस्था में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। परन्तु, पादप इसका अवशोषण इसी रूप में नहीं कर सकते। मिटटी में कुछ विशेष जीवाणु होते हैं, जो गैसीय नाइट्रोजन को उपयोगी यौगिकों में परिवर्तित कर मृदा में निर्मुक्त करते हैं। यह विलेय पदार्थ पादपों द्वारा जल के साथ अवशोषित कर लिए जाते हैं।

संभवतः आपने देखा है कि किसान अपने खेतों में उर्वरक तथा खाद डालते हैं, जिनमें नाइट्रोजनी पदार्थों की प्रचुरता होती है। इस प्रकार अन्य संघटकों के साथ पादपों की नाइट्रोजन की माँग की आपूर्ति हो जाती है। इसके पश्चात् पादप खाद्य के अन्य संघटकों, जैसे कि प्रोटीन एवं वसा का संश्लेषण करते हैं।

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