प्रकाश का परावर्तन,प्रकाश का परावर्तन के नियम

जब प्रकाश की एक किरण पॉलिश की गई सतह पर पड़ती है, तो वह समान माध्यम में वापस लौट जाती है। यह घटना प्रकाश का परावर्तन कहलाती है।

वह पदार्थ जिनसे आर-पार स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, पारदर्शी कहलाते हैं। वे पदार्थ जिनसे प्रकाश रूप से गुजर पाता है आंशिक पारदर्शी या धुंधले कहलाते हैं, जैसे-चिकना कागज। जिन पदार्थों से प्रकाश आर-पार नहीं गुजर पाता है, अपारदर्शी कहलाते हैं।

प्रकाश का परावर्तन

जब प्रकाश की एक किरण पॉलिश की गई सतह पर पड़ती है, तो वह समान माध्यम में वापस लौट जाती है। यह घटना प्रकाश का परावर्तन कहलाती है । एक अधेरे कमरे में हमें कुछ नजर नही आता, परन्तु बल्ब के जलते ही हर वस्तु दिखाई देने लगती हैं। प्रकाश उर्जा का वह रूप है, जिसकी सहायता से वस्तुओं को देखा जाता है। वह स्त्रोत, जो प्रकाश का स्वंय उत्सर्जन करते हैं, प्रतिदीप्त स्त्रोत कहलाते हैं। वह स्त्रोत जो प्रकाश का स्वंय उत्सर्जन नहीं करते अदीप्त स्त्रोत कहलाते हैं। प्रकाश सदैव सरल रेखा में गमन करता है।

प्रकाश का परावर्तन के नियम

प्रायोगिक रूप से पाया गया है कि आपतित तथा परावर्तित तरंगें दो माध्यमों की उभयनिष्ठ परिसीमा पर अभिलम्ब से समान कोण बनाती हैं। आपतित किरण, अभिलम्ब के साथ जो कोण बनाती है, आपतन कोण कहलाता है तथा परावर्तित किरण, अभिलम्ब के साथ जो कोण बनाती है, परावर्तन कोण कहलाता है।

प्रकाश का परावर्तन के दो नियम दिए जाते हैं

1-आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब तीनों समान तल में होते हैं।

2-आपतन कोण का मान, परावर्तन कोण के बराबर होता है।

प्रकाश का परावर्तन के प्रकार

परावर्तन निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं

1.नियमित परावर्तन

यदि परावर्तक तल पूर्णतया समतल हो, तो इस पृष्ठ से उत्पन्न परावर्तन नियमित परावर्तन होता है प्रतिबिम्ब नियमित परावर्तन से ही बन सकता है ।

2.अनियमित परावर्तन

यदि परावर्तक पृष्ठ अनियमित या उॅचा-नीचा है, तो इस प्रकार के पृष्ठ से प्राप्त परावर्तन अनियमित परावर्तन कहलाता है।

पूर्ण आंतरिक परावर्तन

जब प्रकाश किसी प्रकाशतः सघन माध्यम से प्रकाशतः विरल माध्यम में गमन करता है, तब अंतरापृष्ठ पर वह अंशतः वापस उसी माध्यम में परावर्तित हो जाता है तथा अंशतः दूसरे माध्यम में अपवर्तित हो जाता है। इस परावर्तन को आंतरिक परावर्तन कहते हैं।

जब कोई प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है तो यह अभिलंब से दूर मुड़ जाती है तथा अपवर्तन कोण (r), आपतन कोण (i) से अधिक होता है। जैसे-जैसे आपतन कोण में वृद्धि होती है, अपवर्तन कोण में भी वृद्धि होती है। यदि आपतन कोण में  इससे वृद्धि वृद्धि की जाती है तो अपवर्तन संभव नहीं होता तथा आपतित किरण पूर्णतः परावर्तित हो जाती है। इसे पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं।

पूर्ण आंतरिक परावर्तन का प्रयोग

(i) पूर्ण आंतरिक परावर्तन में प्रिज्म का प्रयोग

प्रकाश को 90° अथवा 180° पर मोड़ने के लिए डिजाइन किए गए प्रिज्मों में पूर्ण आंतरिक परावर्तन का उपयोग किया जाता है। ऐसे प्रिज्म को प्रतिबिंब के साइज में बिना कोई परिवर्तन किए उलटने के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

(ii) पूर्ण आंतरिक परावर्तन में प्रकाशिक तंतु का प्रयोग – आजकल प्रकाशिक तंतुओं का, श्रव्य तथा दृश्य संकेतों को लंबी दूरी तक संचरित करने के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। प्रकाशिक तंतुओं में भी पूर्ण आंतरिक परावर्तन की परिघटना का उपयोग किया जाता है। प्रकाशिक तंतु उच्च गुणता के संयुक्त काँच/ क्वार्ट्ज तंतुओं से रचित किया जाता है। प्रत्येक तंतु में एक क्रोड (Core) तथा आच्छद (Cladding) होता है। क्रोड के पदार्थ का अपवर्तनांक आच्छद के अपवर्तनांक की तुलना में अधिक होता है।

प्रकाश का परावर्तन FAQ

प्रकाश का परावर्तन के कितने नियम है

प्रकाश का परावर्तन के दो नियम दिए जाते हैं
1-आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब तीनों समान तल में होते हैं।
2-आपतन कोण का मान, परावर्तन कोण के बराबर होता है।

Leave a comment