कारक किसे कहते हैं- कारक का अर्थ होता है ‘करेनवाला’ क्रिया का निष्पादक। जब किसी संज्ञा या सर्वनाम पद का संबंध वाक्य में प्रयुक्त अन्य पदों व क्रिया के साथ जाना जाता है, उसे ‘कारक’ कहते हैं।
कारक किसे कहते हैं
वाक्य में संज्ञा अथवा सर्वनाम के जिस रूप से उसका क्रिया से सीधा संबंध होता है, उसे कारक कहते हैं। जैसे- सुरेश ने चिड़िया को पत्थर से मारा। कारक का शाब्दिक अर्थ होता है क्रिया का पूरा करने में योगदान देने वाला।
विभक्ति किसे कहते हैं
‘कारक’ को प्रकट करने के लिए प्रयुक्त् किया जानेवाला चिह्न विभक्ति कहलाता है। विभक्ति को परसर्ग भी कहते है। कारक को स्पष्ट करने के लिए संज्ञा, सर्वनाम के साथ जो चिह्न लगाए जाते है उन्हें विभवित्त या परसर्ग कहते हैं।
कारक और चिह्न
कारक के भेद
हिंदी में कारक के आठ भेद होते है
- कार्ता कारक
- कर्म कारक
- करण कारक
- संप्रदान कारक
- अपादान कारक
- संबंध कारक
- अभिकरण कारक
- संबोधन कारक
1. कर्ता कारक किसे कहते हैं
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध होता है उसे कर्ता कारक कहते है। क्रिया करने वाले को व्याकरण में ‘कर्ता’ कारक कहते हैं। कर्ता कारक का चिह्न ‘ने’ होता है। यह संज्ञा अथवा सर्वनाम ही होता है तथा क्रिया से उसका संबंध होता है। विभक्ति का प्रयोग सकमर्क क्रिया के साथ ही होता है, वह भी भूतकाल में।
कर्ता कारक के उदाहरण
- राकेश ने पत्र लिखा।
- राम ने रावण को पराजित किया।
- राधा ने नृत्य किया।
- श्याम ने पत्र लिखा।
- मीना ने गीत गाया।
- उसने पढ़ाई की होती तो पास हो जाता।
2. कर्म कारक किसे कहते हैं
वाक्य में जिस वस्तु पर क्रिया का फल पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते है। यदि को चिह्न प्रयुक्त न हो तो सर्वनाम के साथ ए, ऐ का प्रयोग होता है। हैं। कर्म कारक का विभक्ति चिह्न ‘को’ का प्रयोग केवल सजीव कर्म कारक के साथ ही होता है, निर्जीव के साथ नहीं।
कर्म कारक के उदाहरण
- मॉ उसे सुलाती है।
- अध्यापक ने हमे पढाया।
- रमेश ने राधिका को तमाचा मारा।
- राधा ने नौकर को बुलाया।
- वह पत्र लिखता है।
- स्वाति कॉलेज जा रही है।
- मीना ने गीता को पुस्तक दी
आज्ञासूचक शब्दों में निर्जीव के लिए भी विभक्ति का प्रयोग होता है, जैसे-
- पुस्तक को मत फाड़ो।
- कुर्सी को मत तोड़ो।
- स्वाभाविक क्रियाओं में जैसे-
- डसको प्यास लगी है।
- राम को बुखार हो रहा है।
3. करण कारक किसे कहते हैं
वाक्य में जिस साधन से क्रिया हो अर्थात जिस साधन के द्वारा कर्ता किसी क्रिया को सम्पादित करता है, उसे करण कारक कहते हैं। करण का शाब्दिक अर्थ है साधन। करण कारक की विभक्ति ‘से’ व ‘के द्वारा’ है।
करण कारक के उदाहरण
- सीता चाकू से सेब काटती है।
- मेरा नियुक्ति पत्र डाक द्वारा आयेगा।
- प्रिया पेन्सिल से चित्र बनाती है।
- मुझे दूरभाष द्वारा सूचना प्राप्त हुई।
- उसे डाकिए के द्वारा पत्र प्राप्त हुआ।
- ध्यान से अध्ययन करो।
- स्कूटर से नहीं साइकिल से स्कूल जाओ।
- मेहनत से अच्छे अंक मिलते हैं।
- भिखारी क्रम से बैठे है।
- राम हृदय से ही दयालु है।
- वह स्वभाव से ही कंजूस है।
- सेब किस भाव दे रहे हो?
- बुखार से बहुत कमजोर हो गया।
- वह अक्ल से (अंधा/पैदल) है।
- ईश्वर से सद्बुद्धि मॉगें।
4. संप्रदान कारक किसे कहते हैं
संप्रदान (सम्+प्रदान) का शाब्दिक अर्थ है-देना। वाक्य में कर्ता जिसे देता है अथवा जिसके लिए क्रिया करता है, उसे संप्रदान कारक कहते हैं। जब कर्ता स्वत्व हटाकर दूसरे के लिए दे देता है वहॉ संप्रदान कारक होता है।
संप्रदान कारक की विभक्ति ‘के लिए’, ‘को’ है। ‘के वास्ते, के निमित, के हेतु’ भी कह सकते है । जहॉ क्रिया द्विकर्मी हो वहॉ विभक्ति ‘को’ का प्रयोग होता है,
संप्रदान कारक के उदाहरण
- प्रधानाचार्य छात्रों के लिए पुस्तके लाए।
- प्रधानाचार्य ने छात्रों को पुरस्कार दिया।
- सैनिकों ने देश के रक्षा के लिए बलिदान दिया।
- लोगों ने बाढ़ पीड़ितों के लिए दान दिया।
- मैरिट में आने ने लिए मेहनत करो।
- राजा ने गरीबों को कम्बल दिए।
- पुलिस ने चोर को दण्ड दिया।
नोट- यदि को विभक्ति चिह्न प्रयोग हो और कुछ देने का भाव उत्पन्न हो वहॉ सम्प्रदान कारक होता है।
5. अपादान कारक किसे कहते हैं
जहाँ अलगाव होने का भाव या अलग होने का बोध हो वहॉ पर अपादान कारक होता है।अपादान का अर्थ है- पृथक होना या अलग होना। संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से एक वस्तु या व्यक्ति का दूसरी वस्तु या व्यक्ति से अलग होने या तुलना करने का भाव हो वहॉ अपादान कारक होता है। अपादान कारक की विभक्ति ‘से’ है। पृथकता के अलावा अन्य अर्थो में भी अपादान कारक का प्रयोग होता है।
संप्रदान कारक के उदाहरण
- पेड़ से आम गिरते हैं।
- गंगा देव प्रयाग से निकलती है।
- पेड़ से पत्ता गिरा।
- मेरे हाथ से गेंद गिर गई।
- विजय शाला से घर आर्या
- नदी पहाड़ से निकलती है।
- यह मारवाड़ से है।
- पोस्टऑफिस स्कूल से दूर है।
- विमला सीता से लम्बी है।
- शिष्य गुरू से शिक्षा ग्रहण करता है।
नोट-घृणा, प्रेम, सीखना, तुलना, बात, दूरी, डर, लज्जा, का भाव हो वहॉ अपादान कारक होता है।
6. संबंध कारक किसे कहते हैं
शब्द के जिस रूप से संज्ञा किसी अन्य संज्ञा या सर्वनाम से दर्शाया जाता है संबंध कारक कहलाता है। शब्द का वह रूप जिससे दूसरे संज्ञा या सर्वनाम शब्दों से संबंध बतलाए, संबंध कारक कहलाता है। संबंध कारक की विभक्ति का, के, की, रा, रे, री, और ना, ने, नी है। भेद इस प्रकार है-
संबंध कारक के उदाहरण
- यह बालिकाओं का छात्रावास है।
- राधा के पिता जी स्वस्थ्य है।
- अजय की पुस्तक गुम हो गई।
- अपना पर्स सम्हाल कर रखो।
- मेरा चश्मा बहुत कीमती है।
- विजय अजय का भाई है।
- अमितभा बच्चन कवि हरिवंश राय बच्चन के पुत्र हैं।
- मेरी उम्र पचास वर्ष है।
- यह युवक तीस वर्ष का है।
- पॉच मिट्टी के घड़े लाओ।
- मैंने एक कांसे की कटोरी खरीदी है।
- मेरी साड़ी सिल्क की है।
- पॉचवीं कक्षा के कितने छात्र हैं?
- आपके कितनी संतान हैं?
7. अधिकरण कारक किसे कहते हैं
वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। अधिकरण कारक की विभक्ति है में एवं पर। ‘में’ का अर्थ है अंदर या भीतर तथा ‘पर’ का अर्थ है- ऊपर।
अधिकरण कारक के उदाहरण
- रमेश कमरे में पढ़ रहा है।
- पेड़ पर पक्षी बैठे हैं
- सायंकाल वह बाजार जाता है।
- इस मंदिर में कई मूर्तियॉ हैं।
- उस कम में चाय है।
- मेरे पर्स में पैसे व ड्राइविंग लाइसेंस है।
- टायर में हवा कम है।
- बगीचे में छायादार पेड़ है।
- राम और श्याम में गहरी दोस्ती है।
- भारत की संस्कृति विश्व में विशेष स्थान रखती है।
- पी.टी. उषा का नाम श्रेष्ठ धावकों में है।
- मेज पर पुस्तक रखी है।
- पेड़ पर चिड़िया बैठी है।
- कक्षा में मनीष सबसे बुद्धिमान है।
- निश्चिन्त समय बताने के लिए-
- परीक्षा समाप्ति की घण्टी तीन बजने पर लगेगी।
- प्रति आधे घण्टे पर चेतावनी घण्टी लगानी हैं
- कदम-कदम पर पुलिस का पहरा है।
- बहुत से सैनिक सीमा पर तैनात है।
- हमें अपनी जुबान पर अटल रहना चाहिए।
- वह तो घोड़े पर सवार होकर आता है।
8. सम्बोधन कारक किसे कहते हैं
जिस संज्ञा के रूप में किसी को पुकारा जाए अथवा संबोधित किया जाए उसे संबोधन कारक कहते हैं। संबोधन में पुकारने, बुलाने एवं सावधान करने का भाव होता है। संबोधन कारक के विभक्ति चिह्न है- हे, ओ, अरे।
सम्बोधन कारक के उदाहरण
- ओह! कितना सुन्दर दृश्य है।
- वाह! क्या बात है।
- हे-भगवान! कैसा जमाना आ गया है?
- हे – ईश्वर! मेरा पोता कहॉ गया?
- अरे-अरे! ये क्या कर रहे हो?
- अरे! गुरू जी, आप ईंधन कैसे?
- अरे! बच्चों शोर मद करो।
- ओ-ओ खिलौनेवाले! बतलाना कैसे खिलौने लाये हो।
- ओ भाई! कहॉ भागे जा रहे हो?
कर्म कारक और सम्प्रदान कारक में अन्तर
- कर्म कारक में ‘को’ का प्रभाव कर्म पर पड़ता है। सम्प्रदान कारक में ‘को’ विभक्ति से कर्म को कुछ प्राप्त होता हैं।
- कर्म कारक में ‘को’ विभक्ति का फल कर्म पर होता है पर सम्प्रदान कारक में ‘को’ विभक्ति कर्ता द्वारा देने का भाव होता हैं।
करण कारक और अपादान कारक में अन्तर
- करण कारक में ‘से’ क्रिया का साधन है, जबकि अपादान कारक में ‘से’ अलग होने का भाव हैं।
- करण कारक ‘से’ क्रिया का फल प्राप्त होता है जबकि अपादान कारक ‘से’ तुलना, दूरी, डरना या सीखने का भाव है।
संज्ञाओं की कारक रचना
- संस्कृत से भिन्न अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा के वचन मे अंतिम ‘आ’ कार को ‘ए’ कार में परिवर्तित कर देते हैं। जैसे- घोड़ा, घोड़े ने, घोड़े को, घोड़े से
- संस्कृत में भिन्न शब्दों में विभक्ति का प्रयोग होने पर संज्ञाओं के बहुवचनात्मक रूपों के साथ ‘ओ’ या ‘यों’ प्रत्यय जोड़ते हैं। जैसे- गधे-गधों ने, गधों को, गधों से। डाली-डालियों ने, डालियों को, डालियों से।
- संबोधन कारक के बहुवचन के लिये शब्दान्त में ‘ओ’ जोड़ते हैं। जैसे- नर-नरों, लड़का-लड़कों, छात्र-छात्रों।
कारक किसे कहते हैं in hindi
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