संतुलित भोजन किसे कहते हैं। What is called Balanced Food

ऐसा भोजन जिसमें सभी पोषक तत्व उचित अनुपात में सम्मिलित होते हैं संतुलित भोजन (Balanced Diet) कहलाता है। पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक भोजन करने से हमारी सेहत अच्छी रहती है। संतुलित भोजन भोजन वह होता है, जो शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार सभी पौष्टिक तत्व उपलब्ध कराता है।

संतुलित भोजन की परिभाषा

ऐसा भोजन जिसमे फल, सब्जी, अनाज, दूध, दही, अंडे, मांस आदि होते हैं,संतुलित भोजन कहते हैं। भोजन में अधिक मात्रा में तेल, नमक और चीनी का उपयोग नहीं करना चाहिए।

भोजन वह पोषण पदार्थ है, जो किसी जीव द्वारा वृद्वि, कार्य, मरम्मत और जीवन क्रियाओं के संचालन हेतू ग्रहण किया जाता है। संतुलित भोजन से हमें प्रोटीन,कार्बोहाइड्रेट,वसा, विटामिन तथा खनिज लवण प्राप्त होते हैं। इन सभी तत्वों की आवश्यकता हमारे शरीर के विकास, वृद्वि,तथा स्वास्थ्य के लिए होती है। एक स्वस्थ भोजन में सभी आवश्यक तत्व होते हैं जो हमें अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं।

संतुलित भोजन के स्त्रोत

पौधें तथा जन्तु दोनो ही हमारे भोजन के मुख्य स्त्रोत  हैं। जन्तुओं में गाय, भैंस, बकरी से दुग्ध। कुक्कुट से मास एवं अण्डे तथा सूअर से मॉंस प्राप्त करते हैं। भोजन के स्त्रोत कई होते है। नीचे संतुलित भोजन के कुछ मुख्य स्त्रोत बताए गए हैं

1.फल और सब्जियां– फल और सब्जियां हमें विटामिन, मिनरल और फाइबर प्रदान करते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होते हैं ।

2-अनाज– अनाज हमें कार्बोहाइड्रेट्स और फाइबर प्रदान करते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होते हैं।

3-दूध और दैहिक उत्पाद– दूध और दैहिक उत्पाद हमें प्रोटीन, कैल्शियम और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करते हैं

4-मांस और मछली– मांस और मछली हमें प्रोटीन, विटामिन और खनिज पदार्थ प्रदान करते हैं।

5-अंडे– अंडे में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल होते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होते हैं।

6-तेल और चीनी– तेल और चीनी को खाने में कम मात्रा में उपयोग किया जाना चाहिए। अधिक मात्रा में खाने से वजन बढ़ने का खतरा होता है।

संतुलित भोजन के अवयव

संतुलित भोजन की उत्कृष्टता उसमें उपलब्ध पौष्टिक तत्वों के आधार पर तय की जाती है। ये पौष्टिक तत्व ही भोजन के अवयव होते हैं। संतुलित भोजन के मुख्य अवयव कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज लवण एवं जल रूक्षांश होते हैं।

भोजन के वे घटक जिनकी आवश्यकता शारीरिक वृद्धि, जनन, स्वस्थ जीवन के लिए प्रचुरता में होती है, पोषक तत्व कहलाते हैं। पौष्टिक तत्वों को सामान्यतया वृहत् पौष्टिक तत्वों में विभाजित किया जाता है। वृहत् पौष्टिक तत्व आहार और उर्जा की आपूर्ति करने के साथ-साथ शरीर के विकास एवं उसके विभिन्न क्रियाकलापों के लिए जरूरी पौष्टिक तत्व बनाते हैं। पौष्टिक तत्वों की पर्याप्त आपूर्ति अच्छे स्वास्थ्य, कार्यात्मक दक्षता एवं उत्पादकता के लिए मूलभूत आवश्यकता है। पोषक तत्व वे तत्व होते हैं जो हमारे शरीर के विकास, रखरखाव और स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक होते हैं। इनमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन, मिनरल आदि शामिल होते हैं।

संतुलित भोजन में विभिन्न पोषक तत्व होते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होते हैं। नीचे संतुलित भोजन के कुछ अवयव बताए गए हैं-

1.कार्बोहाइड्रेट्स– कार्बोहाइड्रेट्स हमारे शरीर के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत होते हैं। अनाज, दाल, चावल, रोटी, नूडल्स आदि कार्बोहाइड्रेट्स के अच्छे स्त्रोत होते हैं।

2.प्रोटीन– प्रोटीन हमारे शरीर के विकास और रखरखाव के लिए बहुत आवश्यक होते हैं। मांस, मछली, अंडे, दूध, पनीर आदि प्रोटीन के अच्छे स्त्रोत होते हैं।

3.एन्जाइम– एन्जाइम शरीर में विभिन्न कार्यों को संभालने में मदद करने वाले प्रोटीन होते हैं। ये शरीर के विभिन्न अंगों में बने होते हैं और खाद्य पदार्थों को पचाने, उनसे पोषण लेने, तंदुरुस्त रखने और विभिन्न रसायनों को नष्ट करने में सहायता प्रदान करते हैं। एन्जाइम शरीर की विभिन्न रेखाएं, अंग और अंगों के अंदर रहते हुए शरीर के कार्यों को संभालते हैं।

4.वसा (Facts)– वसा शरीर के लिए आवश्यक मात्रा में होने से सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह शरीर के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत होता है, सही ढंग से पाचन किए जाने पर शरीर में स्वस्थ वसा का भी निर्माण करता है जो शरीर की विभिन्न क्रियाओं में मदद करता है। इसके अलावा, वसा शरीर के लिए आवश्यक विभिन्न विटामिन और मिनरल को भी अवशोषित करने में मदद करता है।

5.विटामिन– विटामिन हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होते हैं। विटामिन C, D, A, K, B12 आदि विटामिन हमें फल, सब्जी, दूध, अंडे, मांस, मछली आदि से प्राप्त होते हैं।

6. खनिज लवण: खनिज लवण हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होते हैं। कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, आयोडीन, मैग्नीशियम, पोटैशियम आदि मिनरल हमें अनाज, दूध, मांस, मछली, सब्जी आदि से प्राप्त होते है

7.रूक्षांश- यह कुछ भोज्य पदाथों में पाया जाने वाला तन्तुमय पदार्थ (Fibrous) है ।अधिकांश रूप से रेषेदार फल एवं सब्जियॉं रूक्षांश (Pernicious Anemia) के रूप में प्रयुक्त किए किए जाते हैं । यह कब्ज को रोकने हेतु अधिक मात्रा में भोजन में मिलाया जाता है ।

8.जल- यह एक आकार्बनिक पदार्थ है और मानव शरीर का 60 -75 % भाग बनाता है । यह पसीने एवं वाष्पन द्वारा शरीर का ताप नियन्त्रित करता है तथा पाचन, परिवहन एवं उत्सर्जन में सहायक है । जल की कमी से निर्जलीकरण (Dehydration) हो जाता है ।

संतुलित भोजन की गुणवत्ता का अनुरक्षण

भोजन की गुणवत्ता के अनुरक्षण (Maintenance) का अर्थ है इसे दूषित या खराब होने से बचाना। भोजन इसके उत्पादन एवं खपत तक की विभिन्न अवस्थाओं में दूषित या खराब हो सकता है। भोजन की स्वच्छता को बनाए रखकर हम फूड पॉइजनिंग से बच सकते हैं। इसके लिए भोजन उत्पादन, प्रबन्ध, संग्रहण, वितरण, कुकिंग एवं सर्विंग, आदि सभी क्रिया-कलाप स्वच्छता से किए जाने चाहिए।

संतुलित भोजन की सफाई

संतुलित भोजन का हमारे स्वास्थ्य से सीधा सम्बन्ध है। भोजन केवल हमारी भूखको संतुष्ट नहीं करता बल्कि विभिन्न शारीरिक व मानसिक गतिविधियों के लिए पौष्टिक तत्व भी उपलब्ध कराकर हमें स्वस्थ रखता है। यदि भोजन स्वच्छ न हो, तो इससे लाभ के बदले हानि हो सकती है, इसलिए भोजन की सफाई पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पड़ती है।

खाद्य पदार्थों में रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीवों: जैसे- जीवाणों एवं कवक, आदि के अधिक संख्या में मौजूद होने या फिर खाद्य वस्तुओं में रोगाणुओं द्वारा उत्पन्न विषैले पदार्थों के मौजूद होने के कारण उत्पन्न होने वाले रोगों को भोजन विषाक्त कहते हैं। भोजन विषाक्त की समस्या से बचने के लिए भी भोजन की सफाई आवश्यक है ।

संतुलित भोजन परिरक्षण

भोजन की सफाई के बाद उसकी गुणवत्ता को अधिक दिनों तक बनाए रखने के लिए भोजन परिरक्षण (Preservation) का प्रयोग किया जाता है । भोजन परिरक्षण के लिए सामान्यता दो प्रणालियों का प्रयोग किया जाता है। ये प्रणालियों हैं- जीवाणुनाशन प्रणाली एवं जीवाणु निष्क्रियण प्रणाली ।

जीवाणुनाशन प्रणाली में खाद्य पदार्थों को अच्छी तरह पकाने के बाद उन्हें डिब्बाबन्द कर जीवाणुओं को पूरी तरह से नष्ट किया जाता है ।

जीवाणु निष्क्रियण प्रणाली में जीवाणु और एन्जाइमों को कई तरीकों, जैसे-लवणन, शुष्कन, निर्जलन, अम्लोपचार आदि द्वारा निष्क्रिय कर दिया जाता है । नमक के घोल एवं चीनी में खाद्य वस्तुओं का परिरक्षण इसी का उदाहरण है । खाद्य वस्तुओं से नमी को निकाल देने को निर्जलन कहते हैं। पत्तीदार सब्जियों, फूलगोभी, आदि को इसी विधि से सुखाकर परिरक्षित किया जाता है।

खनिज लवण

धातु, अधातु एवं उनके लवण खनिज (Minerals) लवण कहलाते हैं । खनिज लवण हमारे शरीर का लगभग 4% भाग बनाते हैं । भोजन खनिज लवण हमारे आहार में मौजूद होने वाले खनिज लवण होते हैं जो हमें शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। ये खनिज लवण हमारे खाद्य पदार्थों में उपलब्ध होते हैं और उनका सेवन हमारे शरीर के स्वस्थ विकास और कार्य के लिए आवश्यक होता है ।

खनिज लवण

खनिज लवण के प्रकार

1.वृहत् पोषक (Macronutrients)- इन तत्वों की शरीर को अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है।

उदाहरण- कैल्शियम(Ca), फॉस्फोरस(P) पोटैशियम(K), गन्धक(S), सोडियम(Na), क्लोरीन(Cl), और मैग्नीशियम(Se)।

2.सूक्ष्म पोषक (Micronutrients)- इन तत्वों की शरीर को बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है ।

उदाहरण-आयोडीन(I), लौह(Fe), कोबाल्ट(CO), फ्लोरीन(F), मोलीब्डेनम(MO) और सेलेनियम (SE) ।

1.लोहा

यह हीमोग्लोबिन प्रोटीन निर्माण में सहायक होता है । हीमोग्लोबिन लाल रंग का रूधिर में पाया वाला श्वसनी वर्णक है । यह लड़कियों में (35 मिग्रा) लड़कों की अपेक्षा (25 मिग्रा) अधिक मात्रा में पाया जाता है, क्योंकि मासिक चक्र के दौरान लडकियों में अधिक रूधिर की हानि होती है । लौह (Iran) की कमी से रक्ताल्पता (Anaemia) हो जाता है ।

2.कैल्शियम

यह अस्थि एवं दॉतों के निर्माण में सहायक होता है । कैल्शियम रूधिर स्कन्दन, पेशीय संकुचन तथा हृदय की कार्यिकी हेतु आवश्यक है । बच्चों एवं गर्भवती स्त्रियों को इसकी अधिक आवश्यकता होती है।

3.आयोडीन

यह थाइरॉक्सिन निर्माण हेतु आवश्यक है । थाइरॉक्सिन, शारीरिक, मानसिक एवं लैगिक विकास को नियन्त्रित करता है । आयोडीन की कमी से घेंघा (Goiter) नामक रोग उत्पन्न हो जाता है ।

4.फॉस्फोरस

यह अस्थि एवं दॉत निर्माण हेतु आवश्यक होता है । फॉस्फोरस के मुख्य स्त्रोत दुग्ध, हरी पत्तेदार सब्जियॉं, अनाज, अण्डा, आदि हैं ।

5.रूक्षांश

यह कुछ भोज्य पदाथों में पाया जाने वाला तन्तुमय पदार्थ (Fibrous) है ।अधिकांश रूप से रेषेदार फल एवं सब्जियॉं रूक्षांश (Pernicious Anemia) के रूप में प्रयुक्त किए किए जाते हैं । यह कब्ज को रोकने हेतु अधिक मात्रा में भोजन में मिलाया जाता है ।

6.जल

जल का सामान्य सूत्र (H20) है । जल के एक अणु में एक ऑक्सिजन परमाणु दो हाइड्रोजन परमाणुओं से दो सहसंयोजी बन्ध द्वारा बन्धित रहता है । H20 संरचना में प्रत्येक ऑक्सिजन परमाणु के पास दो एकांकी युग्म इलेक्ट्रॉन होते हैं । यह एक आकार्बनिक पदार्थ है और मानव शरीर का 60 -75 % भाग बनाता है । यह पसीने एवं वाष्पन द्वारा शरीर का ताप नियन्त्रित करता है तथा पाचन, परिवहन एवं उत्सर्जन में सहायक है । जल की कमी से निर्जलीकरण (Dehydration) हो जाता है ।

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