व्यक्तिगत विभिन्नता, प्रकार, प्रभावित करने वाले कारक

भौतिक एवं मानसिक गुण किसी भी व्यक्ति के एक समान नहीं हो सकते। यह व्यक्तिगत विभिन्नता भाषा के आधार पर, लिंग के आधार पर, बुद्धि के आधार पर, संवेग के आधार पर तथा सामाजिक धार्मिक इत्यादि के आधार पर होती है। इस व्यक्तिगत विभिन्नता का कारण वंशानुक्रम, वातावरण, आयु एवं बुद्धि तथा परिपक्वता इत्यादि होता है। शिक्षा के क्षेत्र में व्यक्तिगत विभिन्नता महत्वपूर्ण स्थान रखती है। मनोविज्ञान इस तथ्य पर बल देता है, कि बालकों को उनकी रूचि क्षमता एवं योग्यताओं के अनुसार शिक्षा देनी चाहिए ना कि सभी को एक समान। अतः बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र के दृष्टिकोण से इसका अपना महत्व है।

व्यक्तिगत विभिन्नता की परिभाषा

व्यक्तिगत विभिन्नता का अर्थ संसार में कोई भी दो व्यक्ति पूर्णता एक जैसे नहीं हो सकते, यहां तक कि जुड़वा बच्चों में भी कई समानताएं के बावजूद कई अन्य प्रकार के संबंध में दिखाई देती हैं। जुड़वा बच्चे शारीरिक बनावट से तो एक समान दिख सकते हैं, किंतु उनके स्वभाव बुद्धि शारीरिक मानसिक क्षमता आदि में अंतर होता है। विभिन्न व्यक्तियों में इस प्रकार की विभिन्नता को ही व्यक्तिगत विभिन्नता कहा जाता है।

व्यक्तिगत विभिन्नता के प्रकार

व्यक्तिगत विभिन्नता को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया है जो निम्न प्रकार हैं

 1. भाषा के आधार पर व्यक्तिगत विभिन्नता

अन्य कौशलों की तरह ही भाषा भी एक प्रकार का कौशल है। प्रत्येक व्यक्ति में भाषा के विकास की विभिन्न अवस्थाएं पाई जाती हैं। यह विकास बालक के जन्म से के बाद ही प्रारंभ हो जाता है। अनुकरण, वातावरण के साथ अनुक्रिया तथा शारीरिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति की मांग इसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसका विकास धीरे-धीरे परंतु एक निश्चित क्रम में होता है।

2. लिंग के आधार पर व्यक्तिक विभिन्नता

समानता: स्त्रियां कोमल प्रकृति की होती है, किंतु अधिगम के क्षेत्रों में बालक एवं बालिकाओं में भिन्नता नहीं होती है। स्त्रियों की शारीरिक संरचना पुरुषों से अलग होती है। समानता पुरुष स्त्रियों से अधिक लंबे होते हैं एक ही परिवेश में रहने वाले लड़कों की अपेक्षा लड़कियों में सहनशीलता का भाव अधिक पाया जाता है।

 3. बुद्धि के आधार पर व्यक्तिगत विभिन्नता

परीक्षणों के आधार पर ज्ञात हुआ है कि सभी व्यक्तियों की बुद्धि एक समान नहीं होती। बालकों में भी बुद्धि के आधार पर व्यक्तिक विभिन्नता दिखाई पड़ती है। कुछ बालक अपनी आयु की अपेक्षा अधिक बुद्धिमत्ता को प्रदर्शित करते हैं। इसके विपरीत कुछ बच्चों में समानता बौद्धिक क्षमताएं पाई जाती हैं।

4. परिवार एवं समुदाय के आधार पर व्यक्तिगत विभिन्नता

मानव के व्यक्तित्व के विकास पर उसके परिवार एवं समुदाय का स्पष्ट प्रभाव पड़ता है, इसलिए समुदाय के प्रभाव को व्यक्तिक विभिन्नता में भी देखा जा सकता है। अच्छे परिवार एवं समुदाय से संबंध रखने वाले बच्चों का व्यवहार समानता: अच्छा होता है। यदि किसी समुदाय में किसी प्रकार के अपराध करने की प्रवृत्ति हो तो इसका कुप्रभाव उस समुदाय के बच्चों पर भी पड़ता है।

5. जाति से के आधार पर व्यक्तिगत विभिन्नता

समाज में जाति एवं नस्ल संबंधी विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। इन्हें दूर करने के लिए व्यक्ति को पूर्वाग्रहों, रूढ़ियों, पूर्वधारणाओं तथा नकारात्मक मनोवृति से हटकर सोचना चाहिए। इस तरह की सोच सामाजिक एकता बनाए रखने में बाधा कार्य करती है।

6. संवेग के आधार पर व्यक्तिगत विभिन्नता

संवेगात्मक विकास विभिन्न बालकों में विभिन्नता लिए हुए होता है, जबकि यह भी सत्य है कि मोटे तौर पर संवेगात्मक विशेषताएं बालकों में समान रुप में पाई जाती हैं। कुछ बालक शांत स्वभाव के होते हैं ,जबकि कुछ बालक चिड़चिड़ा स्वभाव के होते हैं। कुछ बालक समानता प्रसन्न रहते हैं, जबकि कुछ बालकों में उदास रहने की प्रवृत्ति होती है है।

7. धार्मिक आधार पर व्यक्तिगत विभिन्नता

धर्म एवं समाज दोनों एक दूसरे के पूरक हैं न कि अलग-अलग धर्म व्यक्ति के नैतिक मूल्यों एवं आचरण को नियंत्रित करता है। विभिन्न धर्मों में आस्था का स्वरूप रहन-सहन स्तर खानपान की प्रवृत्ति वस्त्र परिधान का स्वरूप धार्मिक कर्मकांड की प्रवृत्ति इत्यादि अलग-अलग होती हैं।

8. शारीरिक विकास के आधार पर व्यक्तिगत विभिन्नता

शारीरिक दृष्टि से व्यक्तियों में अनेक प्रकार की विभिन्नताएँ देखने को मिलती हैं। शारीरिक भिन्नता रंग, रूप, आकार, भार, कद, गठन, लिंगभेद. परिपक्वता आदि के कारण होती है।

9. अभिव्यक्ति के आधार पर व्यक्तिगत विभिन्नता

सभी बालकों की अभिवृत्ति एक समान नहीं होती। सभी बालकों की रुचियां भी समान नहीं होती हैं। कुछ बालकों में पढ़ाई के प्रति अभिरुचि अधिक होती है तो कुछ बालकों में अपेक्षाकृत कम। बालकों की अभिव्यक्ति के निर्धारण में पारिवारिक वातावरण का अधिक योगदान होता है।

10. व्यक्तित्व के आधार पर व्यक्तिगत विभिन्नता

प्रत्येक व्यक्ति में व्यक्तित्व के आधार पर व्यक्तिक विभिन्नता देखने को मिलती है कुछ बालक अंतर्मुखी होते हैं और कुछ बहिर्मुखी। एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से मिलने पर उसकी योग्यता से प्रभावित हो या ना हो परंतु उसके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता l

व्यक्तिगत विभिन्नता को प्रभावित करने वाले कारक

  1. वंशानुक्रम व्यक्तिगत विभिन्नता का एक महत्वपूर्ण कारण वंशानुक्रम को माना जाता है। इसके कारण व्यक्ति का मानसिक विकास बुद्धि चिंतन दृष्टिकोण व्यवहार संकीर्ण सोच एवं शारीरिक विकास लंबाई शरीर का रंग में अंतर पाया जाता है।
  2. वातावरण या परिवेश वातावरण के कारण कारणों के द्वारा भी बालकों में अंतर पाया जाता है। कहा जाता है जिस प्रकार का पारिवारिक या सामाजिक वातावरण होगा बालकों के व्यक्तित्व का विकास भी वैसा ही होगा वातावरण के माध्यम से ही बालकों का सामाजिक मानसिक सांस्कृतिक प्रगतिशील सोच इत्यादि विकसित होती है। वंशानुक्रम एवं वातावरण दोनों व्यक्ति विविधताओं को प्रभावित करते हैं बालक पर सभी प्रकार के वातावरणओं का सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव पड़ता है चाहे वह सामाजिक आर्थिक भौगोलिक एवं सांस्कृतिक वातावरण क्यों ना हो।
  3. आयु एवं बुद्धि बालक की आयु में वृद्धि होने के साथ-साथ उसका शरीर मानसिक एवं संवेगात्मक विकास भी होता रहता है। इसी विकास के कारण उन्हें व्यक्तिगत विभिन्नता आती रहती हैं इसीलिए विभिन्न आयु के बालकों में अंतर दिखाई देता है परिपक्वता परिपक्वता एक ऐसी स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति कार्य के करने में स्वयं को सक्षम पाता है सीखने का आधार भी।
  4. परिपक्वता ही है मनोवैज्ञानिकों के अनुसार एक बालक जब तक नहीं सीख सकता जब तक वह सीखने के लिए तैयार ना हो अथवा परिपक्व ना हो।
  5. लैंगिक विविधता के कारण भी व्यक्तिगत विभिन्नता पाई जाती हैं। लड़कियों का शारीरिक एवं मानसिक विकास लड़कों की अपेक्षा पहले होता है। शारीरिक संरचना के आधार पर भी लड़के एवं लड़कियों में अंतर पाया जाता है।

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