मानव कंकाल तंत्र, सन्धियाँ, कंकाल तंत्र के प्रमुख विकार

कंकाल का अध्ययन अस्थि विज्ञान कहलाता है। कंकाल तंत्र में अस्थियों का एक ढांचा और उपास्थियां होती हैं। शरीर की गति में इस तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

मानव कंकाल तंत्र

वयस्क मानव के कंकाल तंत्र में कुल 206 अस्थियाँ तथा कुछ उपास्थियों का बना होता है। नवजात शिशु में 300 अस्थियाँ होती हैं। कल्पना कीजिए; जब बिना जबड़ों के भोजन चबाना करना पड़े और बिना पाद अस्थियों के टहलना हो। अस्थि एवं उपास्थि विशेष प्रकार के संयोजी ऊतक हैं। मैट्रिक्स में लवणों की उपस्थिति से अस्थियाँ कठोर होती हैं जबकि कोंड्रोइटिन लवण उपास्थियों के मैट्रिक्स को आनन्य बनाते हैं।

मानव कंकाल तंत्र दो भागों में बॉटा गया है।

1.अक्षीय कंकाल तंत्र

इसके अन्तर्गत खोपड़ी, कशेरुक, उरोस्थि एवं पसलियों की अस्थियाँ आती है।

मानव खोपड़ी का चित्र

अक्षीय कंकाल तंत्र में 80 अस्थियाँ होती हैं जो शरीर की मुख्य अक्ष पर वितरित होती हैं। खोपड़ी, मेरुदंड, उरोस्थि और पसलियाँ अक्षीय कंकाल तंत्र का गठन करती हैं। खोपड़ी अस्थियों के दो समुच्चय- कपालीय और आननी से बना है जिनका योग 22 है। कपालीय अस्थियों की संख्या 8 होती है। ये मस्तिष्क के लिए कठोर रक्षक बाह्य आवरण कपाल को बनाती हैं। आननी भाग में 14 कंकाली अवयव होते हैं जो खोपड़ी के सामने का भाग बनाते हैं।

हमारा कशेरुक दंड क्रम में व्यस्थित पृष्ठ भाग में स्थित 26 इकाइयों का बना है जिन्हें कशेरुक कहते हैं। यह कपाल के आधर से निकलता और धड़ भाग का मुख्य ढांचा तैयार करता है। प्रत्येक कशेरुक के बीच का भाग खोखला होता है जिससे होकर मेरुरज्जु गुजरती है।

मानव में 12 जोड़ी पसलियों में से प्रथम सात जोड़ी पसलियॉ वास्तविक पसलियॉ होती हैं। 8वीं, 9वीं तथा 10वीं जोड़ी की पसलियॉ अवास्तविक या कूट पसलियॉ, जबकि अन्तिम दो जोड़ी 11वीं व 12वीं प्लवन पसलियॉ कहलाती हैं।

2.अनुबन्धीय कंकाल तंत्र

इसके अन्तर्गत मेखलाएँ तथा हाथ-पैरों की अस्थियाँ आती है। इसमें 126 अस्थियाँ होती है। हाथों की अस्थियाँ अपनी मेखला के साथ उपांगीय कंकाल तंत्र बनाती हैं। प्रत्येक हाथ में 30 अस्थियाँ पाई जाती हैं भुजा की अस्थियाँ हैं- ह्यूमेरस, रेडियस और अल्ना, कार्पल्स (कलाई की अस्थियाँ – संख्या में 8), मेटा कार्पल्स (हथेली की अस्थियाँ- संख्या में 5) और फैलेंजेज (अंगुलियों की अस्थियाँ  संख्या में 14)। फीमर (उरु अस्थि – सबसे लम्बी अस्थि), टिबिया और फिबुला, टार्सल (टखनों की अस्थियाँ – संख्या में 7), मेटाटार्सल (संख्या में 5) और अंगुलि अस्थियाँ फैलेंजेज। कप के आकार की एक अस्थि जिसे पटेल्ला (Patella) कहते हैं। घुटने को अध्र की ओर से ढकती है।

अंस और श्रोणि मेखला अस्थियाँ अक्षीय कंकाल तथा क्रमशः अग्र एवं पश्च पादों के बीच सन्धियोजन में सहायता करती हैं। प्रत्येक मेखला के दो अर्ध भाग होते हैं। अंस मेखला के प्रत्येक अर्ध भाग में एक क्लेविकल एवं एक स्कैपुला होती है

स्कैपुला वक्ष के पृष्ठ भाग में दूसरे एवं सातवीं पसली के बीच स्थित एक बड़ी चपटी, त्रिभुजाकार अस्थि है। स्कैपुला के पश्च चपटे त्रिभुजाकार भाग में एक उभार एक विस्तृत चपटे प्रबंध् के रूप में होता है जिसे एक्रोमिन कहते हैं। क्लैविकिल इसके साथ सन्धियोजन करती हैं। एक्रोमिन के नीचे एक अवनमन जिसे ग्लीनॉयड गुहा कहते हैं ह्युमूरस के शीर्ष के साथ कंधे की जोड़ बनाने के लिए सन्धियोजन करती है। प्रत्येक क्लैविकल एक लंबी पतली अस्थि है, जिसमें दो वक्र पाए जाते हैं। इस अस्थि को सामान्यतः हँसुली की हड्डी (collar bone) कहते हैं।

श्रोणि मेखला में दो श्रोणि अस्थियाँ होती हैं। प्रत्येक श्रोणि अस्थि तीन अस्थियों के संलयन से बनी होती है- इलियम, इस्चियम और प्युबिस। इन अस्थियों के संयोजन स्थल पर एक गुहा एसिटैबुलम होती है जिससे उरु अस्थि सन्धियोजन करती है। अध्र भाग में श्रोणि मेखला के दोनों भाग मिलकर प्युबिक संलयन बनाते हैं जिसमें रेशेदार उपास्थि होती है।

कंकाल तंत्र की प्रमुख अस्थियाँ

  • फीमर सबसे लम्बी तथा स्टेपिज सबसे छोटी अस्थि होती है।
  • टीबिया सबसे चमकीली अस्थि होती है।
  • फनी अस्थि कुहनी के बीच के झुकाव में पाई जाने वाली अस्थि हैं
  • कण्डराएँ व स्नायु संघन संयोजी ऊतक है, जो क्रमशः कोलैजन व इलास्टिन पीत तन्तु के बने होते हैं।

कंकाल तंत्र की प्रमुख सन्धियाँ

दो या अधिक अस्थियों के बीच जोड़ के स्थान को सन्धि कहते हैं। सन्धियों के अध्ययन को सन्धि विज्ञान या ऑर्थोलॉजी कहते हैं। सन्धियाँ या जोड़ हर प्रकार की गति के लिए आवश्यक है जिनमें शरीर की अस्थियाँ सहयोगी होती हैं चलन गति भी इसका अपवाद नहीं है। जोड़ अस्थियों अथवा एक अस्थि एवं एक उपास्थि के बीच का संध्स्थिल है। जोड़ों द्वारा गति के लिए पेशी जनित बल का उपयोग किया जाता है। यहाँ जोड़ आधार का कार्य करते हैं। इन जोड़ों पर गति विभिन्न कारकों पर निर्भरता के कारण बदलती हैं। सन्धियाँ तीन प्रकार की होती हैं-

1.अचल सन्धियाँ- इनमें साइनोवियल सम्पुट नहीं होता है। करोटि की विभिन्न अस्थियों के बीच टेढ़ी-मेढ़ी सीवनों जैसी सन्धियाँ होती हैं, जो हिल-डुल नहीं सकती है।

2.अल्पचल सन्धियाँ- इनमें साइनोवियल सम्पुट नहीं होता है। सन्धि स्थानों पर स्नायु युक्त तन्तु युक्त अथवा उपास्थिमय ऊतक दोनों अस्थियों को जोड़ने का कार्य करता है। उदाहरण- श्रोणि मेखला की प्यूबिस अस्थियों के बीच का जोड़।

3.पूर्णरूपेण चल सन्धियाँ- यहॉ दोनों अस्थियाँ पूर्णत या हिल-डुल सकती हैं। यह सन्धि कॉचाभ उपास्थि युक्त साइनोवियल सम्पुट ये ढकी होती है। यह पॉच प्रकार की होती है-

1.कन्दुक- खल्लिका सन्धि मेखला एवं पादों की सन्धि।

2.कब्जा सन्धि- घुटने की सन्धि

3. खूँटीदार सन्धि एटलस कशेरुका एवं करोटि की सन्धि।

4.विसर्पी सन्धि- टीबिया-फीबुला एवं टखने की सन्धि तथा रेडियों-अल्ना एवं कलाई की सन्धि।

5.सैडल सन्धि- अंगूठे की मेटाकार्पल एवं कार्पल सन्धि। मानव का अंगूठा बाकी उंगलियों की अपेक्षा अधिक स्वतंत्रता से गति करता है, क्योकि इसमें सैडल सन्धि उपस्थित होती है।

कंकाल तंत्र के विकार

माइस्थेनिया ग्रेविस- एक स्वप्रतिरक्षा विकार जो तंत्रिका-पेशी संधि को प्रभावित करता है। इससे कमजोरी और कंकाली पेशियों का लकवा होता है।

पेशीय दुष्पोषण- विकारों के कारण कंकाल पेशी का विस्थापित पृथक्करण।

अपतानिका: शरीर में कैल्सियम आयनों की कमी से पेशी में तीव्र ऐंठन।

संधि शोथ- जोड़ों की शोथ।

अस्थि सुषिरता- यह उम्र संबंधित विकार है जिसमें अस्थि के पदार्थों में कमी से अस्थि भंग की प्रबल संभावना हैं। एस्ट्रोजन स्तर में कमी इसका सामान्य कारक है।

गाउट– जोड़ों में यूरिक अम्ल कणों के जमा होने के कारण जोड़ों की शोथ।

कंकाल तंत्र प्रमुख के MCQ

Question.1- लम्बी अस्थि का मध्य भाग क्या कहलाता है?

A. डाइपोफाइसिस

B. एपीफाइसिस

C. हाइपोफाइसिस

D. जाइगोपोफाइसिस

Answer- A. डाइपोफाइसिस

Question.2- मनुष्य में अनुतान्त्रिक अस्थि पाई जाती है

A. श्रोणि मेखला में

B. करोटि में

C. अंस मेखला में

D. कशेरुकी भाग में

Answer- D. कशेरुकी भाग में

Question.3- मस्तिष्क की सबसे बाहर वाली परत कहलाती है

A. पायामेटर

B. ड्यूरामेटर

C. पैरीकार्डियम

D. धूसर द्रव्य

Answer- B. ड्यूरामेटर

Question.4- मानव का अंगूठा बाकी अँगुलियों की अपेक्षा अधिक स्वतंत्रता से गति करता है, क्योकि इसमें उपस्थित होती है

A. ग्लाइडिंग सन्धि

B. हिंज संन्धि

C. सैडल सन्धि

D. धुराग्र सन्धि

Answer- C. सैडल सन्धि

Question.5- किसी अस्थि को गति प्रदान करने के लिए कितनी पेशियाँ मिलकर संयुक्त रूप से कार्य करती हैं?

A. दो

B. चार

C. छः

D. संख्या निश्चित नहीं है

Answer- D. संख्या निश्चित नहीं है

Question.6- सिर और ऊपरी जबड़े के बीच का जोड़ एक उदाहरण है

A. श्रोणि सन्धि का

B. बद्ध संन्धि का

C. कन्दुक-खल्लिका सन्धि का

D. हिंज सन्धि का

Answer- B. बद्ध संन्धि का

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